जींद : शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए एक पदोन्नति नियम ने प्रदेश के साढ़े 12 हजार टीजीटी (मास्टर एवं सीएंडवी शिक्षक) शिक्षकों की पीजीटी (स्कूल प्राध्यापक) के पद पर पदोन्नति रोककर रखी दी है। इन शिक्षकों द्वारा पदोन्नति के लिए की गई उच्च डिग्री अब उनके लिए कोई मायके नहीं रखती और यह डिग्रियां निर्थक हो गई हैं। विभाग द्वारा बदले गए इस नियम के प्रति शिक्षकों में रोष व्याप्त है।
जानकारी के अनुसार अप्रैल 2012 में शिक्षा विभाग ने स्कूल प्राध्यापक (पीजीटी) के लिए नए सेवा नियम अधिसूचित किए थे। इसके अनुसार कोई भी शिक्षक केवल उसी विषय का प्राध्यापक पदोन्नत हो सकता है, जिस विषय को वह पढ़ा रहा है। इस कारण एक गणित मास्टर यदि भौतिक या रसायन विज्ञान में एमएससी है तो भी भौतिक या रसायन विज्ञान का प्राध्यापक पदोन्नत नहीं हो सकता। इसी प्रकार से यदि एक साइंस मास्टर यदि गणित में एमएससी है तो वह गणित का प्राध्यापक पदोन्नत नहीं हो सकता। वहीं एक सामाजिक अध्यापन अध्यापक हिंदी, पंजाबी, संस्कृत में एमए है तो वह इन विषयों के प्राध्यापक के पद पर पदोन्नत नहीं हो सकता।
वहीं मजे की बात यह है कि शिक्षकों की प्राध्यापक (पीजीटी) पदों पर पदोन्नति में तो अध्यापन विषय की शर्त लगा दी गई है, लेकिन वे सभी वर्ष 2012 के नियमों के अनुसार सीधी भर्ती से उस विषय के प्राध्यापक नियुक्त हो सकते हैं। शिक्षा विभाग द्वारा अध्यापक से प्राध्यापक पद पद पदोन्नति के लिए अध्यापन विषय की शर्त जोड़ने से प्रदेश के साढ़े 12 हजार से अधिक शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि इन शिक्षकों ने पदोन्नति के लिए अध्यापक रहते हुए अन्य विषयों में एमएससी या एमए कर ली, जिससे अब 2012 का नियम के बाद वह पदोन्नति के लिए योग्य नहीं रह गए हैं। dj
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