कुरुक्षेत्र : 15 के 52 और 20 के 64, आंकड़ा मजेदार है। लेकिन इसके पीछे ‘खेल’ और भी गजब का है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की परीक्षा पुनर्मूल्यांकन शाखा में बड़े घालमेल का खुलासा हुआ है। 2010 में शाखा के तत्कालीन उप कुलसचिव (डीआर) पंकज गुप्ता ने अपने कार्यकाल में अपने ही पीजीडीसीए के दिए दो पेपरों का पुनर्मूल्यांकन कराया। वे इन दोनों ही पेपरों में फेल थे। इनमें से एक में उनके 100 में से 15 तो दूसरे में 20 अंक थे। पुनर्मूल्यांकन के बाद उन्होंने खुद के अंक इतने बढ़ा लिए कि ये अंक 15 के 52 और 20 के 64 हो गए। ऐसे में शक होना लाजिमी था। जब सूचना के अधिकार के तहत विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग के शिक्षक डॉ. विरेंद्र पूनिया ने जानकारी मांगी गई तो सारे खेल का खुलासा हो गया।
कुवि की ओर से आरटीआइ के तहत दी गई जानकारी के अनुसार गुप्ता ने इन दोनों पेपरों का अलग-अलग पुनर्मूल्यांकन कराया। उन्होंने मई 2010 में रोल नंबर 687724 के अंतर्गत जिस पेपर का पुनमरूल्यांकन कराया उसमें पहले केवल 20 अंक थे लेकिन बाद में इन्हें बढ़ाकर 71 कर दिया गया। चूंकि 20 से अधिक अंक बढ़ने की स्थिति में दो बार मूल्यांकन किया जाता है तो अगली बार उन्हें इसमें 57 अंक दे दिए गए। इस तरह दोनों का औसत निकालकर उन्हें पेपर में कुल 64 अंक प्रदान किए गए।
दूसरे पेपर में दिसंबर 2010 में रोलनंबर 241220 के तहत कराए गए पुनमरूल्यांकन में पहले उन्हें 48 और दूसरी बार 55 अंक दिए गए और फिर इनका औसत निकालकर उन्हें पेपर में कुल 52 अंक प्रदान किए गए।ये है नियम :
कुरुक्षेत्र विवि के नियमों के अनुसार अगर कोई शाखा प्रमुख है तो वह अपनी किसी भी डिग्री या डिप्लोमा का पुनमरूल्यांकन नहीं करा सकता। कुवि के पुनमरूल्यांकन शाखा के उप कुलसचिव हरजीत सिंह ने बताया कि 20 अंकों से ज्यादा अंक बढ़ने की स्थिति में दूसरे मूल्यांकनकर्ता से मूल्यांकन कराना होता है। गुप्ता से जुड़े मामले पर उन्होंने कहा कि इस मामले में क्या हुआ, वे नहीं जानते। वे बाद में इस पद पर आए है। फाइल देखने के बाद ही कुछ बता सकेंगे। dj
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