अम्बाला सिटी : शुक्रवार को हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद शनिवार को पीजीटी को ताबड़तोड़ ज्वाइन कराया गया। शनिवार व रविवार को दफ्तर नहीं खुलते। जब डीईओ से पूछा गया तो सच्चाई को बड़े सफाई से छिपा दिया गया। कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। हकीकत यह थी कि अवकाश के दिन ही लेक्चर्स को ज्वाइनिंग करा रहे थे।
पीजीटी पर रोक हटने के बाद जिले में 156 प्राध्यापकों को नौकरी दे दी गई। नौकरी पाने वालों के सिर्फ रजिस्टर पर हस्ताक्षर लिए गए। इसके अलावा शिक्षा विभाग की ओर से कोई औपचारिकता नहीं पूरी की गई। प्राध्यापकों को ब्लॉक वाइज प्रोफार्मा पकड़ा दिया गया था जिसमें नियुक्ति पाने वालों ने दस स्टेशन भरे। विषय अनुसार कई स्कूलों में केवल एक-दो सीट हैं, जबकि उन स्कूलों में कई-कई प्राध्यापकों ने अपनी पसंद का स्टेशन भर दिया। हर प्राध्यापक को उम्मीद है कि उन्हें जल्द ही स्टेशन अलॉट कर दिया जाएगा। डायरेक्टर ऑफिस से डीईओ ऑफिस को स्पष्ट निर्देश हैं कि वह स्टेशन अलॉट नहीं कर सकते। जिनकी नियुक्ति हो गई है, उनमें खुशी की लहर होना लाजिमी है, लेकिन जो नियुक्ति के समय बाहर थे, उनमें निराशा है।
रात को आए थे आर्डर:
हाईकोर्ट ने फैसला सरकार के पक्ष में शुक्रवार को सुबह ही सुना दिया था। फैसले के बाद शिक्षा निदेशालय हरकत में आ गया। रात को ही प्रदेश के सभी डीईओ को निर्देश दिए गए कि छुट्टी होने के बावजूद शनिवार को पीजीटी की ज्वाइनिंग कराई जाए। इसके बाद शनिवार को ज्वाइनिंग के लिए डीईओ आफिस में भीड़ लग गई थी। जिनके पास ज्वाइनिंग लेटर नहीं थे उन्होंने तुरंत नेट से डाउनलोड किए।
दो दिन में यह हुई ज्वाइनिंग
फिजिक्स 21
केमिस्ट्री 31
होम साइंस 1
पॉलिटिकल साइंस 7
इतिहास 4
गणित 28
कॉमर्स 23
साइकोलॉजी 1
पंजाबी 40
ऐसे होती है नियुक्ति
जब कोई अभ्यर्थी परीक्षा में पास हो जाता है तो नियुक्तिपत्र उसके आवास पर पहुंचता है। इसके बाद शिक्षा निदेशालय मीडिया के माध्यम से काउंसलिंग की तिथि जारी करता है। काउंसलिंग में स्टेशन दिया जाता है। इसके बाद अभ्यर्थी का मेडिकल होता है। डीईओ ऑफिस संबंधित स्कूल को ज्वाइनिंग रिपोर्ट भेजता है। ज्वाइनिंग के बाद रिपोर्ट स्कूल से डीईओ आफिस पहुंचती है। उसके बाद प्राध्यापक का वेतन शुरू हो जाता है। पहली नियुक्ति होने पर किसी भी अभ्यर्थी को शहरी स्टेशन अलॉट नहीं किया जाता। उसे कम से कम तीन साल तक ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल में काम करना होता है।
ये रह गए ज्वाइनिंग से
कैंट के रोहित इस समय बाहर हैं। उन्हें पता नहीं है कि हाईकोर्ट ने फैसला सरकार के पक्ष में सुना दिया है। सरकार ने फटाफट ज्वाइनिंग करने के लिए भी कह दिया। इसलिए वह शनिवार को डीईओ आफिस ज्वाइनिंग करने नहीं पहुंच सके। रोहित ने कहा कि उन्होंने फिजिक्स में पीजीटी पास किया है। अब उन्हें यह पता नहीं चल रहा कि अब उनकी ज्वाइनिंग कब होगी। सिटी के अंशुल कुमार का केमिस्ट्री में चयन हुआ था। वह जिस कंपनी में काम कर रहे हैं उस कंपनी ने उन्हें ट्रेनिंग के लिए एक सप्ताह के लिए फरीदाबाद भेजा हुआ है। पीछे से शिक्षा निदेशालय ने जिस तरीके से प्राध्यापकों की ज्वाइनिंग कराई है उससे वह खुद हैरान हैं। उन्होंने कहा कि अगर वह नौकरी छोड़कर प्राध्यापक पद को ज्वाइन करते हैं तो पता नहीं आगे क्या होगा।
डायरेक्टर सेकेंडरी के आदेश थे
"शनिवार व सोमवार को अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग कराई गई है। रविवार को अवकाश था। इस दिन किसी को भी ज्वाइनिंग नहीं कराई गई। छुट्टी के दिन ज्वाइनिंग इसलिए कराई गई है क्योंकि डायरेक्टर सेकेंडरी एजुकेशन की ओर से इस बारे लिखित आदेश आए थे।"--डॉ. परमजीत शर्मा, डीईओ, अम्बाला।
1 अप्रैल 2015 तक एचटेट पास करना जरूरी
पीजीटी के लिए जिन प्राध्यापकों की ज्वाइनिंग हुई है। उनमें से कई प्राध्यापक ऐसे हैं जिनके पास चार साल का अनुभव था, लेकिन वह एचटेट पास नहीं थे। कई प्राध्यापकों के पास बीएड की डिग्री नहीं है। इन सभी प्राध्यापकों को 1 अप्रैल 2015 तक अपनी क्वालिफिकेशन पूरी करनी होगी। नहीं तो उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।
इन्हें प्राथमिकता
प्राध्यापिका रजनी ने बताया कि ज्वाइनिंग के समय महिलाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके बाद विधवा, दंपती, विवाहित, अविवाहित, एससी एवं बीसी को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके बाद पुरुष अभ्यर्थी तथा अंत में सामान्य अभ्यर्थी को ज्वाइनिंग के समय स्टेशन अलॉट किया जा रहा है।
इनके लिए मुश्किल
सबसे ज्यादा मुश्किल उन युवाओं के लिए है जो पहले से मास्टर पद पर नौकरी कर रहे हैं, लेकिन उनका चयन प्राध्यापक पद हुआ है। उन्हें इस बात का भय है कि अगर फिर से स्टे लग गया तो वह कहीं के नहीं रहेंगे। क्योंकि स्टे लगने के बाद अगर नौकरी चली गई तो वह क्या करेंगे। साथ ही जो किसी कंपनी या अन्य संस्थानों में लगे हैं। वह नौकरी छोड़कर ज्वाइनिंग करते हैं तो उनके लिए फिर से नौकरी मिलना मुश्किल हो जाएगा। db
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