** 4 जुलाई को एमडीयू की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में हो सकता है फैसला, एमडीयू में शुरुआत, 293 कॉलेजों में शुरुआत का निर्णय
शिक्षक बनने का सपना आंखों में संजोए प्रदेशभर के हजारों विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है। 12वीं के बाद अब शिक्षक बनने के लिए ग्रेजुएट होने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सीनियर सेकेंडरी की परीक्षा उत्तीर्ण करते ही विद्यार्थियों के शिक्षक बनने के पहली सीढ़ी मिल जाएगी। सीधे ही वे चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड डिग्री कोर्स में दाखिला ले सकेंगे।
ऐसे में हजारों विद्यार्थियों को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय सुनहरा अवसर जल्द ही दे सकता है। हालांकि शुरुआती चरण में केवल एमडीयू परिसर में ही इस योजना को लागू किया जाना है। यदि बात सिरे चढ़ी तो इसके बाद शेष 293 कॉलेजों में भी योजना को लागू किया जा सकता है। एमडीयू में 4 जुलाई को होने वाली एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में निर्णय पर सहमति बन सकती है।
ऐसे में अब विद्यार्थियों सहित शिक्षक वर्ग को भी चार जुलाई को होने वाली बैठक का बेसब्री से इंतजार रहेगा।
कई वर्षों से चल रहा है केयू एमडीयू में प्रयास:
12वीं के बाद शुरू होने वाले इस नए कोर्स को लेकर प्रदेशभर के विद्यार्थियों को लंबे समय से प्रतीक्षा है। हर वर्ष एक बार इस कोर्स के शुरू होने का मुद्दा तो उठता है लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ पाता। वर्ष 2012 में भी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन आने वाले कॉलेजों में भी इस तरह के चार वर्षीय बीएड इंटीग्रेटेड कोर्स चलाए जाने की योजना थी लेकिन उसे मूर्त रूप आज तक नहीं दिया जा सका।
कुछ इस तरह की बनाई गई है योजना:
यदि एमडीयू की इस वर्ष यह योजना सिरे चढ़ जाती है तो प्रदेश में प्रोफेशन टीचर्स तैयार होने तय हैं। इस कोर्स के शुरू होने से विद्यार्थियों को रुझान बढ़ेगा।
पहली बार शुरू होने वाले चार वर्षीय बीएड इंटीग्रेटेड कोर्स को 6-6 माह के आठ समेस्टर में बांटा जाएगा। हर सेमेस्टर का सेलेबस भी अलग-अलग होना तय है। इससे विद्यार्थी मेडिकल, नॉन मेडिकल या कामर्स की तरह शिक्षा के क्षेत्र में अपना प्रोफेशन तय कर सकेंगे। ऐसे में प्रदेश में प्रोफेशनल शिक्षक तैयार होना तय है।
ये होंगी दाखिलों के लिए शर्तें
सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के लिए 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स में दाखिला लेने के लिए 12वीं में किसी भी संकाय से 50 प्रतिशत अंक होने अनिवार्य होंगे। एससी, एसटी ईजीपी के लिए 45 प्रतिशत की शर्त होगी। मेरिट के आधार पर इस कोर्स में दाखिला दिया जाएगा।
फिलहाल कुछ इस तरह है स्थिति
इस समय प्रदेशभर करीब 467 कॉलेजों में 1 वर्षीय बीएड कराई जा रही है। ग्रेजुएशन के बाद होने वाली बीएड में ज्यादातर वही विद्यार्थी दाखिला लेते हैं जिन्हें कोई अन्य दूसरा विकल्प नहीं मिलता। इन 467 कॉलेजों में केयू के अधीन आने वाले करीब 173 कॉलेजों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। ऐसे में एमडीयू यदि चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स की शुरुआत कर देती है तो 12वीं के बाद सीधे ही छात्र शुरू से ही शिक्षण को अपने कैरियर के रूप में अपना सकेंगे। फिलहाल एक वर्षीय बीएड उसके बाद 1 वर्षीय एमएड कोर्स होने के कारण विद्यार्थी टीचिंग कोर्स सही नहीं कर पाते। अलबत्ता बेरोजगारों की एक बड़ी फौज की समस्या हर साल बढ़ती जा रही है। dbambl
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