** जो अधिकारी डीपीई के कार्य को देखता ही नहीं है, वह कैसे कर सकता है आंकलन
हरियाणा स्कूली शिक्षा विभाग के तुगलकी फरमान ने शारीरिक शिक्षकों में बेचैनी पैदा कर दी है। नये नियमों के तहत डीपीई से काम तो स्कूल प्राचार्य लेगा और उसके कार्य का मूल्यांकन मिडिल हेड करेगा। शिक्षा विभाग के दोहरे मापदंड से प्रदेशभर के 1087 डीपीई 3736 पीटीआई नाराज हैं।
शुक्रवार को प्रदेश के सरकारी स्कूलों में एपीएआर (वार्षिक मूल्यांकन निष्पादन एवं आत्म मूल्यांकन रिपोर्ट) जेबीटी से लेकर प्राचार्य तक सभी ने भरी थी, लेकिन शारीरिक शिक्षकों ने इस रिपोर्ट को अपने पास ही रख लिया है। विभागीय सूत्रों की मानें तो सीनियर सेकंडरी स्कूल में ही डीपीई की नियुक्ति की जाती है, जो कक्षा नौंवी, दसवीं, 11वीं 12वीं के विद्यार्थियों को खेल गतिविधियां, प्रात: काल की सभा, मास पीटी, अनुशासन शारीरिक शिक्षा को पढ़ाने का जिम्मा संभालते हैं। ये सभी कार्य विद्यालय के प्राचार्य की मॉनिटरिंग में आते हैं, लेकिन अब विभाग ने डीपीई की एपीएआर भरने के कार्य में मूल्यांकन का कार्य मिडिल हेड को सौंप दिया है। सबसे अहम सवाल तो यह है कि जो अधिकारी डीपीई के कार्य को देखता ही नहीं है तो वह कैसे उनके कार्य का आंकलन कर पाएगा। हरियाणा राज्य शारीरिक शिक्षक संघ के प्रांतीय प्रधान राजेश ढांडा ने बताया कि एक तरफ तो सरकार स्कूली खेलों को बढ़ावा देने का दावा कर रही है दूसरी तरफ डीपीई और पीटीआई को एक ही श्रेणी में लाकर नौंवी से बारहवीं तक के छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने पर तुली है। बताया जा रहा कि शिक्षा विभाग की ओर से भराई गई एपीएआर में खेलों से संबंधित कोई कॉलम नहीं है, जबकि पिछले साल तक भराई जा रही एसीआर में खेलों का कॉलम दिया गया था।
मौलिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक पंकज अग्रवाल का कहना है कि एपीएआर का फार्म सभी शिक्षकों को भरना अनिवार्य है। इसी फार्म के आधार पर उनके कार्यों आत्म मूल्यांकन होगा। dbbwn
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