नई दिल्ली : यूपीएससीकी सिविल सेवा परीक्षा का सीसैट विवाद सुलझने के बजाय उलझ गया है। सरकार ने सोमवार को दो फैसले किए। पहला, ग्रेडिंग या मेरिट में सीसैट-2 के अंग्रेजी प्रश्नों के 20 अंक शामिल नहीं होंगे। दूसरा, 2011 की परीक्षा देने वालों को 2015 में एक और मौका मिलेगा।
कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में कहा कि ये महज सुझाव है। फैसला यूपीएससी को करना है। देर शाम यूपीएससी ने भी इसे मान लिया। साथ ही 24 अगस्त को होने वाला प्रारंभिक परीक्षा तय तारीख पर ही होगा। सरकार ने मार्च में अरविंद वर्मा कमेटी बनाई थी। इसी कमेटी की रिपोर्ट पर ये बदलाव किए गए। लेकिन सीसैट का विरोध कर रहे छात्र इन फैसलों से खुश नहीं हैं। वे लोग बड़े जत्थे में मुखर्जी नगर से जंतर-मंतर पर आकर बैठ गए। छात्रों का कहना है कि सीसैट खत्म होने तक प्रदर्शन जारी रहेगा।
पर यहां समस्या
कहना है कि मामला अंग्रेजी के 20 नंबर तक सीमित नहीं है। मूल समस्या कांम्प्रिहेंशन के 32 सवाल जो 80 नंबर के होते हैं और जनरल मेंटल एबिलिटी के 16 सवाल जो 40 नंबर के होते हैं से जुड़ा है। इस पर तो सरकार ने कुछ किया ही नहीं।
अब यह होगा
अंग्रेजीभाषा के प्रश्नों के 20 अंक ग्रेडिंग या मेरिट में शामिल नहीं होंगे। पहले ग्रेडिंग 400 में से प्राप्त अंकों के आधार पर होती थी। अब 380 में प्राप्त अंकों के आधार पर होगी।
ये होता था
यूपीएससीने 2011 की प्रारंभिक परीक्षा में 200-200 अंकों के दो प्रश्नपत्रों को अनिवार्य किया था। इन्हें सीसैट-1 और सीसैट-2 कहा जाता है। सीसैट-2 में अंग्रेजी भाषा के 8 सवाल भी पूछे जाते हैं। जो कुल 20 नंबर के होते हैं।
परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र भी संतुष्ट नहीं
छात्रों की आपत्ति सिर्फ अंग्रेजी पर नहीं थी। प्रश्नों के हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद पर भी थी। वर्मा कमेटी ने भी सुधार की जरूरत बताई है। लेकिन यूपीएससी ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है।
सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा 24 अगस्त को ही होगी। जबकि छात्रों की मांग है कि इसे कम से कम 30 दिन के लिए टाला जाए। भाजपा की छात्र इकाई एबीवीपी की भी यही मांग है।
संसद में हंगामा : विपक्ष को रास नहीं आया सरकारी फार्मूला
केंद्रीय जितेंद्र सिंह के बयान के बाद लोकसभा में जोरदार हंगामा हुआ। भर्तृहरि महताब (बीजेडी), धर्मेंद्र यादव (सपा) समेत कई सदस्य बार-बार पूछते रहे कि क्या सीसैट हटा दिया गया है। राज्यसभा में भी विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने आरोप लगाया कि सरकार ने मामले को और उलझा दिया है। इस बीच दक्षिण भारतीय पार्टियों ने आरोप लगाया कि सरकार उनकी भाषाओं के साथ नाइंसाफी कर रही है। हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही रोकनी पड़ी। db
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