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Monday, 25 August 2014

सत्ता की हैट्रिक के लिए 2100 करोड़ का दांव

** विधानसभा चुनाव से पहले अलग-अलग वर्गों को लुभाने के लिए सीएम ने किए कई ऐलान 
पानीपत/चंडीगढ़ : कर्मचारियोंको पंजाब के बराबर वेतनमान देने और बुढ़ापा, विधवा, विकलांग पेंशन बढ़ाने की घोषणा अगर लागू करनी पड़ी तो इससे सरकारी खजाने पर 2100 करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा का भार पड़ेगा। हालांकि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह कहकर चुनावी दांव खेल दिया कि इन घोषणाओं का लाभ 1 नवंबर, 2014 से मिलेगा। इसी बीच विधानसभा चुनाव होने हैं। अगर कांग्रेस की सरकार तीसरी बार नहीं बनी तो नई सरकार को इन घोषणाओं को लागू करने में दिक्कतें आएंगी। 
2014-15 के बजट के मुताबिक इस समय कर्मचारियों के वेतन पेंशन पर करीब 2000 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। कर्मचारियों को पंजाब के बराबर वेतनमान देने से लगभग 1500 करोड़ रुपए का भार और पड़ेगा। प्रदेश पर इस समय 82000 करोड़ रुपए का कर्ज है जबकि सरकार की आय में ज्यादा ग्रोथ नहीं है। पानीपत रैली में एससी/बीसी वर्ग के लोगों के 154 करोड़ रुपए के कर्ज माफ करने से पहले मुख्यमंत्री पानी के 100 करोड़ रुपए के बकाया बिल माफ करने समेत कई ऐसी घोषणाएं कर चुके हैं जिनसे सरकारी खजाने पर वित्तीय भार बढ़ा है। 
ध्यान रहे कि नवंबर 2013 में गोहाना में हुई कांग्रेस की शक्ति रैली में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने 35 घोषणाएं की थी जिनके कारण सरकारी खजाने पर 3000 करोड़ रुपए सालाना का बोझ पड़ा था। ये बात अलग है कि इतनी घोषणाओं के बावजूद लोकसभा चुनाव में लोगों ने कांग्रेस को वोट नहीं दिए। 
घोषणाओं के बारे में वो सबकुछ जो अाप जानना चाहते हैं 
घोषणा-1 : एससी-बीसीनिगम से लिए कर्ज माफ 
फायदा:
अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग निगमों से 31 मार्च 2013 तक के कर्ज माफ होंगे। इससे 1.25 लाख लोगों का 154 करोड़ रुपए का कर्ज खत्म हो जाएगा। 
असलियत: 
10 नवंबर 2013 को हुई गोहाना रैली में मुख्यमंत्री ने एससी-बीसी निगम के कर्जधारकों के लिए एकमुश्त कर्ज चुकाने पर ब्याज माफी की घोषणा की थी। इसके बावजूद अधिकांश लोगों ने कर्ज चुकाने में दिलचस्पी नहीं ली। तकनीकी भाषा में बकाया राशि नॉन परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) यानी उगाही की संभावना बची हो, की श्रेणी में गई। अब इसे माफ करके वाहवाही बटोरने की कोशिश की गई है। निगम के अधिकारी कहते हैं कि दोनों निगम पहले ही वित्तीय संकट झेल रहे हैं। इसके कारण कर्ज के नए आवेदन अटके हैं। 
घोषणा-2 : किसानों के लघु दीर्घ अवधि के लोन पर ब्याज में राहत 
फायदा: 
सहकारीबैंकों से लघु अवधि के फसली लोन लेने वाले किसान यदि समय पर कर्ज चुकाते हैं तो बिना ब्याज कर्ज मिलेगा। अभी 4 फीसदी ब्याज लगता है। लंबी अवधि का लोन समय पर चुकाने वाले किसानों का आधा ब्याज सरकार देगी। हरियाणा राज्य सहकारी शीर्ष बैंक (हरको) से जुड़े ग्रामीण सहकारी बैंकों के 20 लाख सदस्यों में से साढ़े आठ लाख किसान कृषि ऋण लेते हैं। 
असलियत: 
गोहाना रैली में मुख्यमंत्री ने लघु लंबी अवधि के बकाया कर्ज एकमुश्त चुकाने पर ब्याज में 50 फीसदी छूट की घोषणा की थी। इस योजना का किसानों ने ज्यादा लाभ हीं उठाया क्योंकि वे तो पूरा कर्ज माफ होने की उम्मीद में थे। 2009 में जब सरकार ने ब्याज दर 7 से घटाकर 4 फीसदी की थी, तब बैंकों की आय में 41 करोड़ का करोड़ का असर पड़ा था। 
घोषणा-3 : नियमित की गई अवैध कॉलोनियों में विकास कार्य होंगे। 
असलियत: 
कैबिनेट बैठक में कई महीने पहले इसका फैसला हो चुका है। प्रदेश में करीब 1,300 अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन आधी ही नियमित हो पाई। वैसे भी जब डेवलपमेंट चार्ज लिया है तो विकास तो कराना ही पड़ेगा। 
घोषणा-4 : बुढ़ापा-विकलांग-विधवा-बेसहारा पेंशन बढ़ेगी 
फायदा: 
प्रदेश में 15 लाख से ज्यादा लोगों को वृद्धावस्था, विधवा, विकलांग या सामाजिक सुरक्षा की अन्य योजनाओं के तहत 1000 रुपए पेंशन मिलती है। इसे 1 नवंबर 2014 से 1,500 रुपए करने की बात कही गई। गोहाना रैली में सीएम ने पेंशन 1,000 रुपए की थी, जिससे सरकारी खजाने पर 8 अरब रुपए का भार बढ़ा। 
असलियत: 
पेंशनबढ़ाने के लिए करीब सवा दो महीने बाद की तारीख रखी गई। तब तक नई सरकार का गठन हो जाएगा। यानी हुड्डा ने चुनावी पासा फेंका है ताकि इस घोषणा को वोट में बदला जा सके। वोट मिले तो कांग्रेस को फायदा होगा और नहीं मिले तो अगली सरकार के सामने वित्तीय भार के रूप में चुनौती होगी। वैसे विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि जब से पेंशन 1,000 हुई, उसके बाद बहुत कम लोगों की नई पेंशन लगी। 
घोषणा : 5 : कर्मचारियों को पंजाब के बराबर वेतन 
फायदा: 
तीसरी बार सरकार बनने की दशा में 1 नवंबर 2014 से पुलिसकर्मियों समेत सभी सरकारी कर्मचारियों को पंजाब के बराबर वेतनमान मिलेगा। प्रदेश में 55 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी और अन्य महकमों में सी डी श्रेणी के तीन लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। रेगुलर पॉलिसी लागू होने के बाद यह आंकड़ा और बढ़ गया है। 
असलियत: 
सीएम ने कर्मचारियों के आगे लॉलीपॉप डाला है क्योंकि पंजाब के बराबर वेतनमान देने की मांग 2006 से उठ रही है। सिर्फ पुलिसवालों को ही पंजाब के बराबर वेतनमान देने से खजाने पर 7 अरब और क्लर्कों को पंजाब के बराबर वेतन देने से 12 अरब का बोझ पड़ेगा। शिक्षा, जनस्वास्थ्य, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग के क्लर्क भी पंजाब के बराबर वेतन मांग रहे हैं। पटवारी, कानूनगो, बिजली निगम के एसडीओ भी संघर्षरत हैं इतने भार के लिए वित्तीय बजट में प्रावधान करना जरूरी होगा और वह सिर्फ विधानसभा सत्र में संभव है। 
कर्मचारी और किसान नेता बोले-यह तो चुनावी खेल 
"यह तो सिर्फ चुनावी हत्थकंडा है। सरकार की यदि किसानों को लेकर नीयत साफ है तो पहले स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करे। साढ़े नौ साल में हुड्डा सरकार ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया"--बाबूराम गुंदयाना, मंडलप्रधान, भारतीय किसान यूनियन 
"कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर जाने कितनी बार हड़ताल कर चुके हैं। कई बार सरकार से मिले लेकिन कोई सकारात्मक जवाब आज तक नहीं मिला। अब चुनाव देखकर सीएम ऐसा भरोसा दे रहे हैं।"--धर्मबीरहुड्डा, महासचिव,हरियाणा रोडवेज यूनियन (संबंधित सर्वकर्मचारी संघ) 
"साढ़े नौ साल में तो हुड्डा को किसानों की याद नहीं आई, अब जाते-जाते वोट बटोरने के लिए ऐसी घोषणाएं कर रहे हैं। किसानों की मुख्य मांग स्वामी नाथन आयोग की सिफारिश लागू करवाना है। कुछ दिनों के बाद आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में किसानों को लेकर की गई घोषणाएं ठंडे बस्ते में चली जाएंगी। "--गुरनाम चढ़ूनी, प्रधान,भारतीय किसान यूनियन 
"मुख्यमंत्री ने घोषणा तो कर दी है, लेकिन देखते हैं इनमें से कितनी पूरी होंगी। अगर कर्मचारियों की मांगें पूरी होती हैं तो अच्छा होगा।"--बलवानसिंह, ऑलहरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन 
"पंजाब के बराबर वेतनमान के अलावा दूसरी मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष चल रहा है। पहले सरकार ने सुनी नहीं और अब चुनाव देखकर ऐसी घोषणाएं की जा रही हैं। "--प्रदीप सरीन, अध्यक्ष,हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ (महासंघ से संबंधित)                                                    db

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