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Saturday, 30 August 2014

भ्रष्टाचारियों का रिकॉर्ड गोपनीय बताने पर सरकार को नोटिस

** आरटीआइ के तहत मांगी थी अफसरों पर भ्रष्टाचार के मामलों की जानकारी
चंडीगढ़ : सूचना के अधिकार के तहत भ्रष्टाचार में लिप्त हरियाणा कॉडर के अधिकारियों के बारे में मांगी गई जानकारी नहीं देने पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जज जसवंत सिंह ने राज्य सरकार व राज्य सूचना आयोग को नोटिस जारी किया है।
हरियाणा सूचना अधिकार मंच के राज्य संयोजक एवं आरटीआइ कार्यकर्ता रोहतक निवासी सुभाष ने मुख्य सचिव कार्यालय से 1 जनवरी, 2000 से 31 अक्टूबर, 2013 तक हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों कार्यरत एवं सेवानिवृत्त हुए आइएएस, आइपीएस, आइआरएस, एचसीएस एवं एचपीएस अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों, भ्रष्टाचार के दर्ज मामले के संबंध में जानकारी मांगी थी। मुख्य सचिव कार्यालय के राज्य जन सूचना अधिकारी ने यह जानकारी देने से मना करते हुए कहा कि यह नियोक्ता और नियुक्ति प्राप्त करने वाले के बीच का मामला है। यह जानकारी व्यापक जनहित में नहीं है, इसलिए नहीं दी जा सकती। इससे किसी भी तरह के मामले में लिप्त अधिकारी के मनोबल पर असर पड़ेगा। 
मुख्य सचिव कार्यालय के अपील अधिकारी ने भी राज्य जन सूचना अधिकारी की राय पर सहमत जताते हुए जानकारी नहीं देने पर मुहर लगा दी। मामला आयोग में गया। मुख्य सूचना आयुक्त नरेश गुलाटी ने भी मुख्य सचिव कार्यालय के जन सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपील अधिकारी के रुख से सहमति जताते हुए जन सूचना अधिकारी के पक्ष में फैसला दिया था। आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष ने अपने वकील प्रदीप रापड़िया के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। 
याचिका में कहा गया कि जनता को जानने का पूरा हक है कि कौन अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त है और उनके खिलाफ सरकार ने क्या कार्यवाई की है। ऐसी सूचना व्यक्तिगत नहीं हो सकती। आरटीआइ कार्यकर्ता कहना है कि राज्य जन सूचना अधिकारी के जवाब से लगता है कि जानकारी सार्वजनिक होने पर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों का हौसला टूट जाएगा। यानि यह उन्हें संरक्षण देने का मामला है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद 15 जनवरी 2015 तक जवाब देने को कहा है।

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