प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी की कथित लालफीताशाही एवं दमनकारी नीतियों के चलते हरियाणा स्कूल लेक्चरर्ज एसोसिएशन ने अब 25 अगस्त को सामूहिक अवकाश लेकर शिक्षा सदन पंचकूला का घेराव करने का निर्णय लिया है। हसला उक्त घेराव के बाद अब आरपार की लड़ाई लड़ेगा तथा संगठन प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग की इस दमनदारी नीति के विरोध में अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शिक्षक दिवस तक जारी रहेगा। घेराव व प्रदर्शन के दौरान शिक्षक पुरस्कार प्रकरण, एसीपी मुद्दा तथा स्थानान्तरण प्रक्रिया से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों को तथ्यों के साथ उजागर किया जायेगा।
हसला के प्रदेश अध्यक्ष दयानंद दलाल ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा गत 16 अगस्त को नवचयनित पीजीटी वर्ग के लिए एचटेट व बीएड की समय सीमा बढ़ाये जाने की कोई विज्ञप्ति न करना सवालिया निशान पैदा करती है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि यदि प्रदेश सरकार ने हसला की सभी लंबित एवं जायज मांगों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का अपना आश्वासन पूरा नहीं किया तो हसला अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन जारी रखेगी। विभाग ने गत तीस जुलाई को गुडग़ांव स्थित एससीआरटी में हसला को वार्ता के लिए बुलाया तथा विचार-विमर्श के बाद आश्वासन दिया गया कि संगठन के पे-ग्रेड, पदोन्नति अनुपात, कॉलेज कैडर पदोन्नति, लेक्चरर्ज पदनाम आदि लंबित मांगों को प्राथमिकता के आधार पर अतिशीघ्र पूरा कर दिया जायेगा। विभाग के आश्वासन पर संगठन ने अपना आंदोलन वापिस ले लिया था किंतु एक पखवाड़े से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद सरकार ने हसला को न तो अभी तक बातचीत के लिए आमंत्रित किया न ही बार-बार दिये जा रहे आश्वासनों को पूरा किया गया है, जिससे स्कूल प्राध्यापकों में भारी रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस के संबंधित प्रारूप को पंचकूला स्थित धरना-प्रदर्शन के दौरान अंतिम रूप दिया जायेगा तथा सितम्बर माह में होने वाली बोर्ड परीक्षाओं तथा मूल्यांकन प्रक्रिया के बहिष्कार जैसे कठोर कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी।
इधर, शिक्षामंत्री गीता भुक्कल से इस बारे में जब बात की गई तो उनका कहना था कि हसला की कई मांगें जायज हैंं, जिनको पूरा करवाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
ये हैं मांगें
हसला की 4800 के बजाय 5400 का ग्रेड पे दिये जाने, पीजीटी वर्ग का नाम लेक्चरर ही रखने, पदोन्नति में 95:5 का रेशो दिये जाने, कालेज के लिए योग्यता पूरी करनेे वाले प्राध्यापकों के लिए कालेज में जाने को नीति बनाने सहित कई अन्य मांगें हैं। dtrhtk
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