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Thursday, 28 August 2014

स्कूलों में बायोमैट्रिक मशीन पर लाखों खर्च करने के बाद भी परिणाम शून्य

** शिक्षा विभाग की ये कैसी योजना : मशीन दीवारों पर तो लगी है, लेकिन चल नहीं रही 
शिक्षा विभाग द्वारा लाखों रुपए खर्च कर सरकारी स्कूलों में लगाई गई बायोमेट्रिक मशीन मात्र दिखावा साबित हो रही है। मशीन दीवारों पर तो लगी है, लेकिन चल नहीं रही है। विभाग द्वारा लाखों रुपए खर्च कर सरकारी स्कूलों में समय पर आने वाले अध्यापकों पर लगाम कसने के लिए बायोममैट्रिक मशीन लगाई गई थी। शुरुआत में तो मशीन कई माह तक ठीक चली और अध्यापक भी समय पर स्कूलों में आते-जाते नजर आए। लेकिन धीरे-धीरे स्कूलों में लगी ये मशीन खराब स्थिति में पहुंच गई। इस समय स्थिति यह बनी हुई है कि सभी बायोमेट्रिक मशीन मात्र दीवारों पर खराब स्थिति मेें शोपिस बनकर रह गई है। सरकार द्वारा तो सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुविधा के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण सरकार की योजनाएं स्कूलों में दम तोड़ रही हैं। कई सरकारी स्कूलों में तो विभाग द्वारा मशीन ही नहीं लगाई गई और यदि किसी स्कूल में लगाई भी गई तो वे ज्यादा समय तक चली ही नहीं। स्कूलों में लगी मशीनों को ठीक करवाने के लिए तो स्कूल के किसी अधिकारी कोई कदम उठाया और नहीं विभाग ने इसकी कोई सुध ली। 
"स्कूलों में लगी बायोमैट्रिक मशीन लगाने का काम भी विभाग है और उसे ठीक कराने का भी। हम तो सिर्फ विभाग को इसकी शिकायत कर सकते हैं। बाकी कुछ नहीं। हां, विभाग द्वारा कुछेक स्कूलों में यह मशीन लगाई गई थी। जिन स्कूलों में लगाई गई थी कहीं तो मशीन सही चल रही है, कहीं खराब पड़ी है। जब विभाग चाहेगा तभी ठीक होगी।"--डॉ.वंदना गुप्ता, जिलाशिक्षा अधिकारी, अम्बाला सिटी। 
2009-10 सत्र में शुरू की गई थी योजना 
शिक्षा विभाग द्वारा उच्च वरिष्ठ स्कूलों में यह योजना 2009-10 सत्र में शुरू की गई थी। जबकि कुछ स्कूलों में 2010-11 सत्र में ही मशीन लगाई गई थी। कुछेक सरकारी स्कूलों में तो मशीन कुछ महीनों तक तो सही चली, लेकिन उसके बाद ये सभी मशीनें बंद हो गई। जिन पर विभाग द्वारा दोबारा कोई ध्यान नहीं दिया। 
निदेशक कार्यालय से जोड़ा गया था मशीनों को 
योजना के तहत प्रदेश के स्कूलों में लगाई गई मशीनों को विभाग के पंचकूला निदेशक कार्यालय से जोड़ा गया था। ऐसा करने से मुख्य कार्यालय से कभी भी यह पता लगाया जा सकता था कि कौन सा शिक्षक कब आ रहा है और कब जा रहा है। इस प्रणाली से स्कूलों में समय पर आने समय से पहले चले जाने वाले शिक्षकों पर नकेल लग सकती थी।                                    dbambl 25814

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