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Tuesday, 26 August 2014

कर्मचारियों को नियमित करने की पॉलिसी को हाईकोर्ट में चुनौती

नोटिस : हाईकोर्ट ने पूछा क्यों पॉलिसी पर रोक लगा दी जाए? 
चंडीगढ़ : प्रदेशसरकार द्वारा तदर्थ, अनुबंध अस्थायी तौर पर लगे ग्रुप बी, सी डी के कर्मचारियों को नियमित करने की पॉलिसी को सोमवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दे दी गई। याचिका पर प्राथमिक सुनवाई के बाद जस्टिस एसके मित्तल जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार को 16 सितंबर के लिए नोटिस जारी करते हुए पूछा कि क्यों पॉलिसी पर रोक लगा दी जाए। 
प्रदेश सरकार की पॉलिसी को सोनीपत निवासी योगेश अन्य ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए मांग की है कि सरकार की इस पॉलिसी को रद्द किया जाए। सरकार ने 16 जून 7 जुलाई को कर्मचारियों को नियमित करने की जो पॉलिसी जारी की है वह पूरी तरह से गैर कानूनी है। याचिका में कहा गया कि केवल राजनीतिक कारणों आगामी विधान सभा चुनाव में लाभ लेने के लिए पॉलिसी बनाई गई है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जज की पीठ ने कर्नाटक बनाम उमा देवी केस में अपने एक फैसले में सभी राज्यों को 2007 में निर्देश दिया था कि बैक डोर से लगे तदर्थ, अनुबंध अस्थायी तौर के कर्मचारियों की सेवा नियमित नहीं की जा सकती। 
इसी तरह एक अन्य मामले में कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सरकार अस्थाई तौर पर बिना किसी प्रोसेस के नियुक्त किए गए कर्मचारियों की सेवा नियमित नहीं कर सकती। ऐसे तो सरकार बैक डोर इंट्री से नियुक्ति कर बाद में उन की सेवा नियमित कर देगी।                                          db

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