** शिक्षक दिवस के जरिये गुरुओं को खोया सम्मान दिलाने की विशेष कोशिश
नई दिल्ली : देश भर में स्कूलों को अब गांव-मुहल्ले की सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनाए जाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए पहली बार देश के सभी सरकारी स्कूलों में हर वर्ष ‘शाला उत्सव’ मनाया जाएगा। इसी तरह महज औपचारिकता बनकर रह गए शिक्षक दिवस को शिक्षकों का खोया सम्मान वापस दिलाने का एक विशेष मौका बनाने की तैयारी की जा रही है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रलय ने स्थानीय समुदाय में स्कूलों की भूमिका को विस्तार देने के लिहाज से कई कदम उठाने का फैसला किया है। इसके तहत सभी राज्यों को कहा गया है कि वे सभी स्कूलों का स्थानीय स्तर पर स्थापना दिवस मनाएं। ‘शाला उत्सव’ के नाम से एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाए। इस मौके का इस्तेमाल स्थानीय समुदाय में स्कूल के लंबे समय के योगदान को ताजा करने के लिए किया जाएगा। हर गांव-मुहल्ले के ऐसे स्कूलों में पढ़े बहुत से लोग आगे चलकर बहुत अच्छा करते हैं। उनको भी इस कार्यक्रम में बुलाया जा सकता है।
इसी तरह शाला उत्सव के दौरान उन शिक्षकों को भी सम्मानित किया जाएगा, जिनके काम को स्थानीय समुदाय से सराहना मिली हो। इस मौके पर स्कूल के विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले स्थानीय लोगों का भी सम्मान किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के दौरान स्थानीय समस्याओं को दूर करने या लोगों में जागरुकता लाने के लिए स्कूल के छात्र और शिक्षकों की भूमिका को लेकर स्थानीय लोगों से विमर्श किया जाएगा। साथ ही मिड डे मील सहित विभिन्न योजनाओं पर लोगों की राय भी ली जाएगी। इसी तरह शिक्षकों की गरिमा को फिर से कायम करने के लिए हर साल आयोजित होने वाले शिक्षक दिवस को भी नए सिरे से उपयोग में लाया जाएगा। मंत्रलय ने इस दिन को अब ‘गुरु उत्सव’ के रूप में मनाने की तैयारी की है। इस साल गुरु उत्सव के मौके पर एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित कर छात्रों को अपने गुरु से जुड़ा ऐसा कोई वाकया लिखकर भेजने को कहा गया है, जिसने उनकी जिंदगी को प्रभावित किया हो। dj
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.