** छह सालों से सरकार चला रही है एक ही ढर्रा
सिवानीमंडी : यदि सरकारी स्कूल का कोई ऐसा बच्चा दिखे जिसकी वर्दी फटी हुई है तो उसमें उस बच्चे का कोई दोष नहीं है क्योंकि उसे आज के महंगाई के दौर में वर्दी के लिए सालाना 400 रुपये मिलते हैं। जबकि बाजार में पेंट शर्ट की सिलाई ही चार सौ रुपये है। इसमें सरकार द्वारा दिए जाने वाले सालाना चार सौ रुपये में पेंट, शर्ट, जूते, जुराब, टाई व बेल्ट कैसे खरीदा जा सकता है। यह समझना मुश्किल नहीं है।
जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए 400रुपये प्रति साल के हिसाब से वर्दी का भत्ता देती है जिसमें स्कूली बच्चे को पेंट, शर्ट, जुते, जुराब, टाई व बेल्ट खरीदना होता है जो कि स्कूल की एसएमसी खरीद करती है। इस महंगाई में बच्चों को स्कूल डेस चार सौ में कौन देगा। ये अलग बात है कि कुछ डेस वाले स्कूल में जाकर ये सब सामान देते है और कुछ कमीशन भी उपलब्ध करवाते हैं लेकिन चार सौ में वो कैसे डेस बच्चों को दे पाते होंगे इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
राजकीय अध्यापक संघ के ब्लाक प्रधान मा. उमराव सिंह ने बताया कि ये बच्चों के साथ ज्यादती है। उन्हांेने बताया कि जब सरकार अपना भत्ता बढ़ाने में या पक्के कर्मचारियों को डीए आदि बढ़ाने में समय नही लगाती तो इनके बारे में क्यों नही सोचा जा रहा। उन्हाेंने कहा कि शिक्षा विभाग केवल सरकारी स्कूलों को एक ढर्रा के रूप में चला रहा है। उनको इस बात से कोई लेना देना नही कि बच्चों को चार रुपये में डेस कैसे मिलेगी।
पैसे बढ़ाने का पत्र नहीं आया
खंड शिक्षा अधिकारी रामचन्द्र जांगड़ा ने बताया कि पिछले छह सालों से बच्चों को वर्दी के लिए चार सौ रुपये सालाना दिए जा रहे है और वर्दी खरीद करने का काम एसएमसी करती है और कुछ लोग एसएमसी में ऐसे भी होते हैं जो अपनी ओर से कुछ अनुदान देते हैं। अभी सरकार की ओर से पैसे बढ़ाने के बारे में कोई विचारणीय पत्र नही आया है। djhsr
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.