चंडीगढ़ : हरियाणा के सरकारी स्कूलों में फर्जी स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट के आधार पर पढ़ाई करने वाले छात्रों की तह तक स्कूल शिक्षा बोर्ड पहुंच गया है। बोर्ड ने नौवीं कक्षा के लगभग चार हजार फर्जी स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र पकड़े हैं, जिनके आधार पर दसवीं कक्षा में बाहरी छात्रों ने दाखिला लिया था। बोर्ड ने संदिग्ध छात्रों का दसवीं का रिजल्ट रोक दिया, जो अभी अटका हुआ है।
नौवीं कक्षा के फर्जी पाए गए चार हजार स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) में से अधिकांश उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से स्थानांतरित होकर हरियाणा आए छात्रों के हैं। बोर्ड ने इनके प्रमाण पत्र जाली होने का पता चलने पर जांच टीम गठित की थी, जिसने उत्तर प्रदेश के उन सभी स्कूलों में जाकर छानबीन की, जिनके नाम पर स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट जारी हुए हैं।
जांच में एक भी प्रमाणपत्र सही नहीं पाया गया। बोर्ड अधिकारी इस मामले में अभी जांच जारी होने की बात कह रहे हैं। स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव डॉ. जे गणोशन ने बताया कि दसवीं के जिन छात्रों का परीक्षा परिणाम रोका गया है, उनके रिजल्ट जारी करने पर अभी निर्णय नहीं हो पाया है। सचिव के अनुसार जिन छात्रों का परिणाम रुका हुआ है, उन सभी के स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट बोर्ड की जांच में जाली पाए गए हैं। अधिकांश बच्चे उत्तर प्रदेश से स्थानांतरित होकर आए हैं और इन्होंने नौवीं कक्षा के फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर प्रदेश के स्कूलों में दाखिला लिया था। डॉ. गणोशन ने कहा कि फर्जी प्रमाण पत्र वाले बच्चों की कुल संख्या तो मालूम नहीं, लेकिन इनका लगभग आंकड़ा हजारों में हो सकता है। बोर्ड जांच कर रहा है कि अन्य कक्षाओं में तो कहीं इस तरह से दाखिला लेकर बाहरी छात्र शिक्षा ग्रहण नहीं कर रहे हैं। इसके पीछे कोई रैकेट काम कर रहा है या फिर छात्रों के अभिभावकों ने ही जाली स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट बनाए हैं, इसकी भी जांच जारी है।
जांच टीमों ने स्कूलों से कराई तसदीक :
उत्तर प्रदेश के जिन स्कूलों के नाम पर फर्जी निकले स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट जारी हुए हैं, स्कूल शिक्षा बोर्ड की जांच टीमों ने उनके प्रबंधकों से जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कराए हैं। इसका मकसद यह था कि रिपोर्ट को कोई झुठला न सके। dj
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