हिन्दी,अंग्रेजी,हेल्थ एंड फिजिकल एजुकेशन, फिजिक्स, केमेस्ट्री मैथ इत्यादि की तर्ज पर देश के सभी विश्वविद्यालयों उनके अधीन आने वाले कॉलेजों में अब ग्राफिक डिजाइन, क्रिएटिव राइटिंग एंड ट्रांसलेशन स्टडीज, नॉलेज ट्रेडिशन एंड प्रेक्टिकल ऑफ इंडिया लीगल स्टडीज, बायोटेक्नोलॉजी, फैशन स्टडीज, ह्यूमन राइट्स एंड जेंडर स्टडीज, एनसीसी, हेरिटेज क्राफ्ट्स, फंक्शनल इंग्लिश और इंटरप्रेन्योरशिप इत्यादि विषयों के रोजगारपरक डिग्री कोर्स भी कराए जाएंगे।
इससे पहले केवल 12वीं कक्षा तक ही इन विषयों को पढ़ाया जा रहा था। सीबीएसई की तर्ज पर अब विश्वविद्यालयों में भी इन 13 नए विषयों में डिग्री कोर्स शुरू किए जाएंगे। इन विषयों के डिग्री कोर्स चलाने के लिए पहल करते हुए बाकायदा यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर इन्हें शुरू करने के आदेश भी दे दिए हैं।
ये होगा फायदा
- 12वीं तक जिन विद्यार्थियों ने रोजगारपरक कोर्स पढ़ा है वे इन्हें आगे भी पढ़ सकेंगे।
- कॉलेज छोड़ने के बाद नौकरी के लिए भटकना नहीं पढ़ेगा।
- कॉलेजों में 13 नए कोर्स की शुरुआत से देश में हजारों टीचर्स की भर्ती होगी।
मोदी ने भी कही थी स्किल डेवल्पमेंट की बात
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बारे में कई बार बोल चुके हैं। बच्चों के सवालों का जवाब देते हुए भी उन्होंने स्किल डेवल्पमेंट को बेहद जरूरी बताते हुए इसे कॉलेजों में भी लागू करने की बात कही थी। हालांकि यूजीसी ने इस दिशा में पहले ही काम शुरू कर दिया था। इससे पहले सीबीएसई तो इस दिशा में लंबे समय से ही प्रयासरत है। इस बार भी कुछ अन्य रोजगारपरक (स्किल डेवलपमेंट) कोर्स सीबीएसई ने शुरू किए हैं ताकि 12वीं के बाद यदि किन्हीं कारणवश विद्यार्थी आगे नहीं पढ़ पाए तो भी उसे रोजगार मिल सके। इसी तर्ज पर काम करते हुए यूजीसी सीबीएसई कोर्सों को डिग्री कोर्सों में शामिल कर विद्यार्थियों को रोजगारपरक बनाना चाहती है। इसका मुख्य उद्देश्य यह भी है कि इन पाठ्यक्रमों को पढ़ने वाले स्टूडेंट्स 12वीं के बाद भी इन्हीं रोजगारपरक विषयों में डिग्री कर अपने पांव पर खड़े हो सकें देश के विकास में अपना योगदान दे सकें। dbambl
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