** अधिसूचना के बगैर चुनावी हवाबाजी साबित हो सकती हैं दर्जन भर बड़ी घोषणाएं
चंडीगढ़ : चुनाव में कर्मचारियों के वोटों की फसल काटने के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पिछले एक पखवाड़े के दौरान जितनी घोषणाएं की हैं, उन घोषणाओं की फाइलों पर अफसर कुंडली मारे बैठे हैं। इनमें ज्यादातर घोषणाएं सरकारी कर्मचारियों के हितों से जुड़ी हैं।
अफसरों को इन घोषणाओं की अधिसूचना चुनाव आचार संहिता लगने से पहले जारी करना है। वरना ये सभी घोषणाएं अधिसूचना के बगैर हवा-हवाई साबित हो सकती हैं।
अधिसूचना के बगैर फाइलों में लटकी घोषणाओं में पंजाब के समान वेतनमान देने, वेतन/ग्रेड-पे के मामले निपटाने के लिए आयोग गठन करने, स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न केंद्रीय परियोजनाआें में कार्यरत कर्मचारियाें के वेतनमानाें में बढ़ोतरी करने, रेगुलर होने से वंचित कर्मचारियाें के वेतनमान में बढ़ोतरी करने, कुरुक्षेत्र से निकाले गए करीब 1400 कच्चे कर्मचारियाें को वापस ड्यूटी पर लेने और तीन वर्ष की सेवा पूरी कर चुके कर्मचारियाें को नियमित करने की नीति की सभी शर्तें पूरी करने वाले अनुबंध टीचराें को पक्का करना शामिल है।
इसी प्रकार पेंशन लाभ 28 की बजाय 20 वर्ष करने, अनियमित व अनुबंध कर्मचारियाें की मृत्यु पर तीन लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने, केंद्रीय प्रोजेक्टों में कार्यरत कर्मचारियाें व पक्के होने से वंचित कर्मचारियाें के वेतन बढ़ाने, अस्थायी पदाें को स्थायी में बदलने और मेडिकल भत्ता, यात्रा भत्ता, धुलाई भत्ता व वर्दी भत्ता की दराें में बढ़ोतरी करने की अधिसूचना भी अभी जारी नहीं हुई है।
कर्मियों में बेचैनी बढ़ीः सुभाष लांबा
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लांबा का कहना है कि लंबे संघर्ष के बाद मानी हुई मांगों की अधिसूचनाएं जारी न होने से प्रदेश के कर्मचारियाें में बेचैनी बढ़ रही है। क्याेंकि किसी भी समय आदर्श चुनाव आचार संहिता लग सकती है और तमाम मामले लटक सकते हैं। उन्हाेंने सरकार को आगाह किया कि चुनावी लाभ के लिए हुई घोषणाओं पर आचार संहिता से पहले अधिसूचना जारी न हुई तो सरकार को चुनाव में इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है। au
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