चंडीगढ़ : घर से दूर डयूटी बजा रहे प्राथमिक शिक्षकों का वनवास इस सरकार में खत्म होने वाला नहीं है। चुनाव सिर पर हैं और शिक्षा विभाग अभी तक प्राथमिक शिक्षकों की अंतर जिला तबादला नीति लागू करने पर निर्णय नहीं ले पाया है। चुनाव आचार संहिता के प्रभावी होने के बाद वैसे भी तबादले नहीं हो पाएंगे। ऐसे में तय है कि अक्टूबर में चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार में ही शिक्षकों की घर वापसी हो सकेगी।
प्राथमिक शिक्षकों के लिए सबसे बड़ी विडंबना यह है कि उनके गृह जिला में पद खाली पड़े हुए हैं। बावजूद इसके शिक्षा विभाग तबादला नीति लागू करने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठा है। भिवानी, हिसार, रोहतक, सोनीपत व झच्जर के शिक्षक सबसे अधिक प्रभावित हैं। वर्ष 2004, 2008, 2011 में खाली सीटों में अभाव में लगभग 4200 शिक्षकों को दूसरे जिलों में भेजा गया था, जबकि इनका जिला कैडर है। ये शिक्षक अंतर जिला तबादला नीति लागू न होने से मेवात, पलवल, यमुनानगर, करनाल व अंबाला में कार्यरत हैं।
वर्ष 2012 में शिक्षा विभाग ने अंतर जिला तबादला के लिए आवेदन मांगे थे, लेकिन वे फाइलों में ही दबकर रह गए। सामान्य तबादलों से वंचित इस समय सैकड़ों शिक्षक घर से 200 या 400 किलोमीटर दूर नौकरी कर रहे हैं। इससे जहां शिक्षकों का मानसिक व आर्थिक शोषण हो रहा है। अपने जिलों में तबादला कराने के लिए प्राथमिक शिक्षक मेवात से चंडीगढ़ तक पदयात्र भी कर चुके हैं। तब सरकार ने मेवात से बाहर उनके जिलों में भेजने का आश्वासन दिया था, मगर नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्य प्रधान विनोद ठाकरान व महासचिव दीपक गोस्वामी ने प्रदेश सरकार को चेताया कि अगर जल्द अंतर जिला तबादले नहीं किए गए तो चुनाव में खमियाजा भुगतना होगा dj
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