चंडीगढ़ : प्रदेश सरकार के पीजीटी का पदोन्नति कोटा बढ़ाने पर स्कूल लेक्चरर और मास्टर वर्ग में तलवारें तन गई हैं। लेक्चरर जहां इसे पीजीटी का आंकड़ा देकर जायज ठहरा रहे हैं, वहीं मास्टर वर्ग द्वारा जारी प्रभावित होने वाले शिक्षकों की संख्या पर सवाल उठाने में भी पीछे नहीं हैं। हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएसन (हसला) प्रधानाचार्य पद पर मुख्याध्यापक का पदोन्नति कोटा 33 से 20 प्रतिशत करने को सरकार का सही कदम बता रही है।
हसला के राज्य प्रधान दयानंद दलाल व पूर्व प्रधान किताब सिंह मोर का कहना है कि मास्टर वर्ग के अध्यापकों की संख्या 60 हजार न होकर मात्र 26158 है जबकि प्रदेश में प्राध्यापकों के 33976 स्वीकृत पद हैं। शिक्षा नियमावली के अनुसार मास्टर वर्ग से 8630 अध्यापक पदोन्नत होकर प्राध्यापक बनते हैं जबकि मास्टर वर्ग से हेडमास्टर के पद पर केवल 1300 के लगभग मास्टर ही पदोन्नत हो पाते हैं। जिस पदोन्नति कोटे को लेकर मास्टर वर्ग ने हाय तौबा मचा रखी है, उसकी मांग प्राध्यापक पिछले 22 सालों से करते आ रहे हैं, इस अवधि में हजारों प्राध्यापकों को पदोन्नति से वंचित रहना पड़ा। दलाल ने बताया कि पदोन्नति की अंतिम सूची में मात्र साढ़े तीन साल का कार्यकाल पूरा करने वाले हेडमास्टर को प्रिंसिपल की पदोन्नति मिल चुकी है, जबकि 22 साल का सेवाकाल पूरा कर चुके प्राध्यापक को ज्यादा शैक्षणिक योग्यता रखते हुए भी प्रमोशन नहीं मिल रही। उन्होंने मास्टर वर्ग से पदोन्नत कर प्राध्यापकों के पद जल्द भरे जाने की मांग की है। इसके साथ ही प्राध्यापक के पद की योग्यता रखने वाले प्राथमिक अध्यापकों को सीधे प्राध्यापक पद पर पदोन्नत का अवसर देने का भी आग्रह किया है। याद रहे कि पीजीटी का प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति कोटा 67 से बढ़ाकर 80 प्रतिशत किया गया है। dj
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