नई दिल्ली : हाईकोर्ट ने कहा कि निजी स्कूलों में पढ़ने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कराना राज्य सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन निजी स्कूल भी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते।
न्यायमूर्ति बीडी अहमद व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ ने यह टिप्पणी बच्चों को वर्दी व किताबें देने के मामले में सुनवाई के दौरान की। खंडपीठ ने कहा कि बच्चों को वर्दी व किताबें देने के विवाद में हम तय करेंगे कि यह जिम्मेदारी किस की है। हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि बच्चे उचित शिक्षा प्राप्त करने के लिए किताबें-वर्दी पाने के हकदार है और उन्हें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय भी फैसले में कह चुका है कि बच्चों को सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए। कानून में बच्चों को यह सुविधा मुफ्त प्रदान करने का प्रावधान है तो मुफ्त का अर्थ है मुफ्त। इससे पूर्व निजी स्कूलों की एसोसिएशन के अधिवक्ता ने एक बार फिर दोहराया कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि बच्चों को उक्त सुविधा प्रदान करे, लेकिन यदि यह काम हमें सौंपा गया तो इसकी पूरी राशि का भुगतान किया जाए। वहीं, दिल्ली सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि हम स्कूलों को तय कानून के तहत राशि का भुगतान कर रहे हैं और इससे अधिक राशि नहीं दी जा सकती। au
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