नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थानों को निर्देश जारी किए हैं कि वह अपने यहां नेशनल सर्विस स्कीम (एनएसएस) यूनिट का गठन करें। वर्ष 2007-08 से यह सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत शिक्षण संस्थानों में कार्यरत हैं।
यह यूनिट संस्थानों में छात्रों के व्यक्तित्व विकास और चरित्र निर्माण में अहम भूमिका निभाती है। क्योंकि यूनिट द्वारा नैतिकता से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके लिए शिक्षण संस्थान कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानि सीएसआर फंड के तहत कंपनियों से मदद ले सकते हैं।दरअसल, यूजीसी को भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के सचिव राजीव गुप्ता ने पत्र लिखकर इस दिशा में निर्देश जारी करने का आग्रह किया था। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश के 15,908 कॉलेज, 336 यूनिवर्सिटी और 11,809 तकनीकी शिक्षण संस्थानों और स्कूलों में करीब 3.3 मिलियन स्वयंसेवक एनएसएस यूनिट से जुड़े हैं। एक शिक्षण संस्थान में 100 छात्रों की यूनिट पर 47,500 रुपये का सालाना खर्च आता है। लेकिन वर्तमान योजना में 10 फीसदी छात्रों का जुड़ाव कम हुआ है। जबकि देश के निर्माण में युवाओं की भागीदारी एनएसएस में बढ़नी चाहिए। एनएसएस नैतिक कार्यक्रमों के आयोजनों से छात्रों के व्यक्तित्व विकास होता है।
इससे समाज के प्रति उनकी समझ अच्छी बनती है। ऐसे में युवाओं का चरित्र निर्माण होने के साथ वह बेहतर नागरिक भी बनते हैं। क्योंकि वह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं।
इसे लेकर यूजीसी की संयुक्त सचिव डा. पंकज मित्तल ने सभी विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक संस्थानों को निर्देश जारी किए हैं कि वह अपने यहां सेल्फ फाइनेंस यूनिट के तहत एनएसएस यूनिट का गठन करें। कॉलेज एनएसएस यूनिट चलाने के लिए छात्रों से मामूली फीस चार्ज कर सकता है या फिर किसी कंपनी से सीएसआर फंड के तहत यह लाभ ले सकता है। db
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