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Sunday, 5 October 2014

स्कूलों के हेड छोटे-छोटे खर्चों के लिए ताक रहे विभाग का मुंह

** डीडीओ कोड नहीं मिलने से खर्चा करने में मिडिल हेड के हाथ बंधे, सरकारी स्कूलों में पचास हजार बच्चों की सुविधा के नहीं हाे रहे काम 
स्वतंत्र मिडिल स्कूलों के हेड को शिक्षा विभाग ने वित्तीय शक्तियां देने की घोषणा तो कर दी, लेकिन योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया गया। कई जिलों में तो हेड को यह पॉवर मिल गई, लेकिन स्वतंत्र होने के बावजूद भी खर्चा करने में हेड के हाथ बंधे हुए हैं। यह दुविधा भिवानी के करीब डेढ़ सौ स्वतंत्र मिडिल स्कूलों में बनी हुई हैं। इन स्कूलों में मिडिल हेड को पाई पाई के लिए बीईओ की ओर ताकना पड़ता है। इन स्कूलों में करीब पचास हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जिनके भत्ते उनको मिलने वाली सुविधाओं पर भी बुरा असर पड़ रहा है। 
लंबी प्रक्रिया में फंसे रहते हैं शिक्षक 
हरियाणास्कूली शिक्षा विभाग ने हाल ही में सभी स्वतंत्र मिडिल हेड को वित्तीय शक्तियां प्रदान करने की हैं। इन शक्तियों का इस्तेमाल करने के लिए जिला खजाना कार्यालय से प्रत्येक विद्यालय के हेड को डीडीओ (आहरण वितरण शक्तियां) के लिए कोड जारी किया जाता है। 
इस कोड के माध्यम से ही संबंधित विद्यालय को ग्रांट का इस्तेमाल करने, टीचरों का वेतन निकलवाने विद्यालय में सुधार के लिए बजट खर्च करने की पावर स्वतंत्र मिडिल हेड को मिल जाती है। फिलहाल स्वतंत्र मिडिल हेड के हाथ में लेनदेन करने की कोई शक्ति नहीं मिली है। स्वतंत्र मिडिल हेड को विद्यालय में दो चार सौ रुपये खर्च करने के लिए भी सीधे खंड शिक्षा अधिकारी से अनुमति लेनी पड़ती है। इस प्रक्रिया में एक तो कार्य कराने में देरी होती है और दूसरा बजट पर कार्यालय में मंजूर कराने में ही हेड को चक्कर पर चक्कर काटने पड़ते हैं। 
शिक्षा विभाग खजाना कार्यालय में तालमेल नहीं 
डीडीओ कोड स्वतंत्र मिडिल हेड को जारी नहीं होने के पीछे शिक्षा विभाग और खजाना कार्यालय के बीत में आपसी तालमेल यानी सामंजस्य का अभाव माना जा रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेवारी खजाना कार्यालय पर थोप रहे हैं तो खजाना कार्यालय भी अपनी जवाबदेही से बच रहा है। यही वजह है कि मिडिल हेड स्कूल में व्यवस्था संभालने की बजाए एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर चक्कर काटने में ही लगे हैं। इसका ताजा उदाहरण गुरुवार को देखने को मिला। सीनियर हाई स्कूलों के मुखियाओं को डीडीओ कोड से संबंधित प्रशिक्षण देने की सूचना शिक्षा विभाग ने दी, मगर ट्रेजरी कार्यालय में जब स्कूल मुखिया पहुंचे तो कोई ट्रेनिंग होने से ही साफ इंकार कर दिया गया। 
हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव विकास शर्मा ने बताया कि सभी स्वतंत्र मिडिल हेड को डीडीओ कोड जारी नहीं किए गए हैं। यह सब अधिकारियों की लापरवाही की वजह से हुआ है। कई बार इस मसले को लेकर शिक्षा खजाना अधिकारियों से मिल चुके हैं। मगर कोई समाधान नहीं किया जा रहा है। हालात यह है कि शिक्षकों को विभाग का मुंह ताकना पड़ रहा है। 
अधिकारियों की लापरवाही से समस्या 
एलिमेंटरी हेडमास्टर एसोसिएशन के मुख्य प्रवक्ता जयवीर नाफरिया का कहना है कि मौलिक मुख्याध्यापक को आहरण वितरण शक्तियां कई जिलों में मिल चुकी हैं, लेकिन भिवानी में अभी एक भी स्वतंत्र हेड को यह पॉवर नहीं मिली है। इसके अलावा उच्च वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के मिडिल हेड को भी वित्तीय शक्तियां प्रदान की जानी चाहिए। फिलहाल बीईओ ही इन स्कूलों में टीचरों की पे निकलवा रहे हैं। 
महालेखाकार से नहीं मिली कोई अथॉर्टी 
खजाना अधिकारी जगजीत सिंह सुहाग ने बताया कि स्वतंत्र मिडिल हेड को डीडीओ कोड जारी करने के संबंध में हरियाणा के महालेखाकार से कोई अथॉर्टी नहीं मिली है। शिक्षा विभाग मिडिल हेड को वित्तीय शक्तियां मिलने की बात कह रहा है, लेकिन जब तक उनके पास कोई लिखित आदेश नहीं जाता तब तक किसी को कोई कोड नहीं दे सकते। आदेश आने के तुरंत बाद ही कोड जारी कर दिए जाएंगे। 
खजाना कार्यालय जाने 
जिला शिक्षा अधिकारी निर्मल श्योराण ने बताया कि स्वतंत्र मिडिल हेड को डीडीओ कोड जारी करना खजाना कार्यालय का काम है। उनके पास तो सिर्फ स्वतंत्र मिडिल हेड को वित्तीय शक्तियां प्रदान करने संबंधी सूचना दी गई है। 
ये रही हैं अड़चनें 
स्वतंत्र मिडिल स्कूलों में सरकारी योजनाओं के लेनदेन करने, वेतन का भुगतान करने, सरकारी ग्रांट का इस्तेमाल करने, बच्चों के वजीफा वितरण करने, स्कूल में मरम्मत का कार्य काने, स्कूल में शौचालय अन्य कार्यों को करवाने में मिडिल हेड को काफी दिक्कतें रही हैं। अगर डीडीओ कोड मिलता है तो सीधे तौर पर मिडिल हेड ही इन कार्यों में बजट का इस्तेमाल कर सकता है।                                                           dbbwn

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