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Friday, 10 October 2014

पहले "हीरो, फिर "जीरो"बना दिया सरकार ने खेल प्रशिक्षकों को

** पीटीआई-डीपीई के समान मिल रहा कोच को वेतन 
खेल प्रशिक्षकों की सुविधाएं साल दर साल घटती गई और उन पर अच्छे खिलाड़ी तैयार करने का दबाव बढ़ता गया। प्रशिक्षकों का खेल केंद्रों पर उचित खेल वर्दी में जाना तो अनिवार्य है परंतु किसी भी प्रकार की कोई खेल वर्दी या खेल वर्दी भत्ता आज तक नहीं दिया गया। 
इतना ही नहीं, शुरुआत में जिस गर्व के साथ उन्हें सरकार ने सबसे अधिक वेतनमान दिया था आज वह भी घटकर पीटीआई डीपी के वेतनमान के समान ही रह गया है। इसके चलते प्रशिक्षकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल ओलिम्पिक एशियन गेम्स में पदक जिताने के लिए खिलाड़ियों की फौज को तैयार करने वाले विभिन्न खेलों के कोच साल दर साल सरकार की अनदेखी का शिकार होते आए हैं। शायद यही कारण है कि आज प्रदेश में ढूंढने से भी कई खेलों के अच्छे बेहतरीन कोच नहीं मिलते। साल दर साल विदेशी धरा, ओलिम्पिक एशियन गेम्स के विजेताओं खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि में बेशक प्रदेश इजाफा भी करती आई है, लेकिन इन खिलाड़ियों को ट्रेंड करने वाले कोच अपने वेतन में इजाफे के लिए कई सालों से संघर्षरत हैं। 
1986 के दौर में पीटीआई जेबीटी के साथ अन्य सभी स्कूली टीचर्स लेक्चरर का वेतन खेलों के कोच से बेहद कम था। इसके बाद पीटीआई डीईपी 1996 तक भी प्रशिक्षकों से वेतनमान के मामले में दो स्टेप पीछे थे। लेकिन इसके बाद लगातार हुए पे रिविजन में यह सभी आज प्रशिक्षकों से ज्यादा सेलरी प्राप्त कर रहें है। 
यही कारण है कि अब प्रदेश में विभिन्न खेलों के कोच ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं। जो कार्यरत हैं उनका भी मनोबल लगातार गिरता ही जा रहा है। शायद यह भी कारण है कि उच्चस्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रदेश के खिलाड़ी उस तरह का प्रदर्शन नहीं कर पाते जिसकी उनसे उम्मीद की जाती है। 
कई बार शिकायत दी 
"सरकारखेल अधिकारियों के साथ निरंतर अनदेखी कर रही है। खेल विभाग मुख्यमंत्री के सामने कई बार लिखित रूप में शिकायत दी जा चुकी है, परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। तमिलनाडु आंध्रप्रदेश की तर्ज पर खेल अधिकारियों को 5400 पे ग्रेड के अनुसार हरियाणा में भी वेतनमान मिलना चाहिए। "--सतेंदरकुमार, हरियाणाखेल जर्नल सेक्रेटरी। 
योग्यता कम पर वेतन फिर भी अधिक
मजेदार बात यह है कि पीटीआई बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता 12वीं होनी चाहिए, डीपीई की योग्यता बैचलर डिग्री रखी गई है। लेकिन खेल प्रशिक्षक बनने के लिए स्नातक के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी होना भी अनिवार्य है। कोचिंग डिप्लोमा में उसी स्नातक खिलाड़ी को दाखिला मिलता है जिस में कम से कम दो बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लिया हो। राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनने के लिए एक खिलाड़ी को शिक्षा के साथ-साथ कम से कम 6 से 7 साल खेल मैदान में कड़ी मेहनत भी करनी पड़ती है। भारत देश में नेता जी सुभाष चंद्र बोस एक ऐसा खेल स्टेडियम है जो खिलाड़ियों को कोचिंग का डिप्लोमा देता है। खेल प्रशिक्षकों को शैक्षिक, व्यवसायिक योग्यता ज्यादा होते हुए भी खेल शिक्षकों के समान वेतनमान मिल रहा है।                                                                     db

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