चंडीगढ़ : मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की नई सरकार के फैसलों के विरोध में प्रदेश के अधिकतर कर्मचारी संगठन और बुजुर्ग लामबंद हो गए हैं। कर्मचारी संगठन जल्द ही सीएम से मिलने की योजना बना रहे है। कर्मचारी सगठनों का कहना है कि सरकारें तो बदलती रहती हैं, लेकिन पिछली सरकारों के निर्णयों पर रोक नहीं लगानी चाहिए।
मालूम हो कि भाजपा सरकार ने सोमवार को पंजाब की तर्ज पर वेतनमान देने, बुजुर्गों और विधवाओं की पेंशन 1500 रुपये करने पर रोक लगा दी है। पिछली हुड्डा सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले यह निर्णय लिया था कि एक नवंबर से सभी सरकारी कर्मचारियों को पंजाब की तर्ज पर वेतन देने का फैसला लिया था। इसके साथ ही पेंशन भी एक हजार से बढ़ाकर 1500 रुपये करने की घोषणा की थी। कई कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि यदि जल्द ही पंजाब की तर्ज पर वेतन न बढ़ाया गया, तो फिर से संघर्ष किया जाएगा।
बहुउद्वेशीय स्वास्थ्य कर्मचारी एसोसिएशन हरियाणा की प्रधान लाजवंती बेवल का कहना है कि भाजपा सरकार को पिछली सरकार के कर्मचारियों के हित के लिए गए निर्णयों पर रोक नहीं लगानी चाहिए। प्रदेश के कर्मचारियों ने लंबी लड़ाई लड़कर मांगों को लागू करवाया था। उन्होंने बताया कि एक नवंबर को रोहतक में प्रदेश भर के कर्मचारियों की बैठक बुलाई गई है। इसमें आगामी नीति पर निर्णय लिया जाएगा।
ऑल इंडिया रोडवेज वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष हरी नारायण शर्मा का कहना है कि नई भाजपा सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए था। इस समय हरियाणा के कर्मचारी पंजाब के मुकाबले में पांच से दस हजार रुपये कम वेतन ले रहे हैं। नई सरकार के फैसले सेसरकारी कर्मचारियों में जबर्दस्त रोष है।
एक बार जो फैसला हो जाता है, उसे पलटना नहीं चाहिए, चाहे किसी की भी सरकार आए। उन्होंने बताया कि जल्द ही एक प्रतिनिधि मंडल सीएम से मिलेगा।
बहुउद्वेशीय स्वास्थ्य कर्मचारी एसोसिएशन केप्रेस सचिव शक्ति सिंह ने बताया कि भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में बुढ़ापा पेंशन दो हजार रुपये प्रति माह देने और बेरोजगार युवकों के लिए आबादी के अनुसार पद सृजित करने की बात कह चुकी हैं।
लेकिन, सत्ता में आने के एक दिन बाद ही पहले से मिल रही सुविधाओं पर रोक लगाकर, समीक्षा करने की बात कह रही है। सगठन इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता है।
हरियाणा पुलिस संगठन के अध्यक्ष दिलावर सिंह का कहना है कि कर्मचारियों की मंागों को भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया है। सरकार को रोके गए निर्णयों की समीक्षा जल्द से जल्द कर, कर्मचारियों को राहत देनी चाहिए। उन्हें उम्मीद है कि नव नियुक्त मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जरूर कर्मचारियों की मांगों को पूरा करेंगे। au
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