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Tuesday, 13 January 2015

798 जेबीटी फर्जी, 6049 आवेदक संदेह के घेरे में

** सरकार ने हाईकोर्ट से मांगा तीन महीने का समय, कोर्ट ने देरी के लिए लगाई फटकार 
चंडीगढ़ : हरियाणा में जेबीटी शिक्षकों की पात्रता परीक्षा में धांधली के मामले में सरकार ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जवाब दायर कर कहा कि 798 आवेदकों की पात्रता को फर्जी पाया गया है। इसके अलावा 6049 आवेदक ऐसे हैं, जो संदेह के घेरे में है। प्रदेश सरकार ने कोर्ट से स्थिति स्पष्ट करने के लिए तीन माह का समय और दिए जाने की मांग की। हाईकोर्ट ने इस पर सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि इस मामले में देरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोर्ट इससे पहले भी 7 महीने का समय दे चुका है। हाईकोर्ट ने इस पर मामले की सुनवाई को शुक्रवार के लिए टालते हुए डायरेक्टर एलिमेंटरी एजूकेशन को तलब किया है। 
सरकार की ओर से एफिडेविट दायर कर कहा गया कि उन्होंने 2011 में नियुक्ति पाने वाले जेबीटी शिक्षकों की अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने के रिकाॅर्ड की सीएफएसएल जांच में पाया है कि केवल 1101 टीचर ऐसे हैं, जिन्होंने पात्रता परीक्षा सही तरीके से पास की है। शिक्षा विभाग की ओर से दी जानकारी में कहा गया कि 8285 शिक्षकों की अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने के मामले में जांच करवाई गई थी। इस जांच के लिए आवेदन फार्म और पात्रता परीक्षा की ओएमआर शीट पर मौजूद अंगूठे के निशान का मिलान किया गया। इस मिलान प्रक्रिया के बाद पाया गया कि केवल 1101 शिक्षक ऐसे थे जिनके अंगूठे के निशान पूरी तरह से सही थे। 7150 मामलों में इन निशानों के सही होने की पुष्टि नहीं हुई है और ऐसे में उनकी पात्रता संदेह के दायरे में है। इन 7150 में से 798 शिक्षकों को हरियाणा सरकार ने पूरी तरह से फर्जी करार दिया है और बाकी 6049 शिक्षकों की पात्रता पर संदेह की बात कही है। शिक्षा विभाग ने बताया कि संदेह के घेरे में आने वाले इन 6049 शिक्षकों जिनके अंगूठे के निशानों का मिलान नहीं हो पाया है उनके हस्ताक्षर लेकर उन्हें जांच के लिए भेजा जा रहा है। अब हस्ताक्षर की जांच कर पता चल जाएगा कि इन 6049 में से कितने शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने फर्जी तरीके से पात्रता परीक्षा पास की है। 
2011 में हुई थी भर्ती : 
2011 में शिक्षकों के 8285 पदों पर हुई भर्ती में नियमों की पालना होने और गलत तरीके से शिक्षक बनने वालों की नियुक्ति रद्द करने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। 
याचिका में कहा गया कि शिक्षा बोर्ड ने राज्यस्तरीय अध्यापक पात्रता परीक्षा (स्टेट) का आयोजन किया था। इसके लिए जारी प्रोस्पेक्टस में साफ लिखा था कि परीक्षा की उत्तरपुस्तिका पर अंगूठे के निशान फार्म पर लिए अंगूठे के निशान का मिलान कर ही प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे। बावजूद इसके इस जांच को किए बिना ही प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए। परीक्षा में कई छात्रों ने अपनी जगह दूसरे को बैठाकर परीक्षा पास की। 
300 शिक्षक नहीं पहुंच रहे जांच के लिए 
सरकार ने बताया कि जांच के लिए शिक्षकों को बुलाया जा रहा है, परंतु 300 शिक्षक ऐसे हैं, जो बार-बार बुलाने पर भी नहीं पहुंच रहे। ऐसे में सरकार इनकी सेवाओं को समाप्त करने पर विचार कर रही है। सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि हस्ताक्षरों की जांच के लिए उन्हें तीन माह का समय दिया जाए। दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई की जानकारी देते हुए कहा गया कि सरकार द्वारा कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और दोषी शिक्षकों के प्रमाण पत्र रद्द कर उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जाएगी। हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा समय मांगे जाने पर कहा कि बार-बार समय नहीं दिया जा सकता। इससे पहले सात महीने का समय दिया जा चुका है। बावजूद इसके फिर से समय नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले की पूरी स्टेटस रिपोर्ट के साथ डायरेक्टर एलिमेंटरी एजूकेशन शुक्रवार को हाजिर हों।                                                   db

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