चंडीगढ़ : प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कार्यरत महिला असिस्टेंट प्रोफेसर अब मनमाफिक तरीके से चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) नहीं ले सकेंगी। उच्च शिक्षा विभाग ने इसके लिए नियम कड़े कर दिए हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर को 18 साल की उम्र से कम के दो बच्चों के लिए ही पूरी नौकरी के दौरान 730 दिन चाइल्ड केयर लीव मिलेगी। ये सिर्फ बच्चों की चिकित्सा और परीक्षा के लिए होगी। लीव के केस उच्च शिक्षा निदेशालय को कॉलेज प्रिंसिपल तभी भेजेंगे, अगर वे जांच के दौरान जायज पाए जाएंगे।
उच्च शिक्षा विभाग ने पाया है कि कई महिला प्रोफेसर बच्चों की देखभाल की बजाए अन्य कार्यो के लिए लंबी छुट्टी ले रही हैं। बिना की उद्देश्य के असिस्टेंट प्रोफेसरों की लंबी छुट्टी का असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। इसे देखते हुए विभाग के महानिदेशक ने सभी कॉलेजों के प्रिंसिपल को पत्र जारी कर चाइल्ड केयर लीव के सही केस ही निदेशालय को भेजने के निर्देश दिए हैं। महानिदेशक अंकुर गुप्ता का कहना है कि कॉलेजों में चाइल्ड केयर लीव को लेकर नियमों का पालन सही तरीके से नहीं हो रहा। महिला प्रोफेसर बच्चों की देखभाल के बजाए अन्य प्रयोजनों के लिए भी सीसीएल ले रही हैं। इसलिए कॉलेज प्रिंसीपल को हिदायत दी गई है कि उन्हीं केस को उनके पास मंजूरी के लिए भेजा जाए जो वास्तव में ही ठोस आधार रखते हों। प्रिंसिपल खुद अपने स्तर पर भी केस भेजने से पहले छानबीन कर लें। निर्देशों का कड़ाई से पालन न होने से सख्त कार्रवाई की जाएगी। dj
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