जींद : दूसरों को नसीहत, खुद मियां फजीहत.. यह कहावत शिक्षा विभाग पर सही बैठती है। एक तरफ जहां स्कूल शिक्षा निदेशक ने पत्र जारी करके शिक्षकों की डेपुटेशन रद करने के आदेश जारी कर दिए हैं, वहीं निदेशालय की आरटीई ब्रांच में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए शिक्षक आज भी क्लर्क का काम कर रहे हैं, लेकिन इन्हें इनकी मूल जगहों पर भेजने का फरमान अब तक जारी नहीं हो सका है।
शिक्षा के अधिकार के लागू होने के बाद शिक्षा विभाग ने कुछ साल पहले निदेशालय में आरटीई की ब्रांच चलाने को लेकर शिक्षकों से आवेदन मांगे थे। इसके तहत जो शिक्षक स्कूलों में पढ़ाने की बजाय निदेशालय में काम करना चाहता था, उसे एक परीक्षा पास कर निदेशालय में लगाया जाना था। सैकड़ों शिक्षकों ने आवेदन किया और लगभग प्रदेश के 30 के करीब शिक्षकों को डेपुटेशन पर निदेशालय में आरटीई ब्रांच में लगा दिया गया। अब नए महानिदेशक ने सभी शिक्षकों की डेपुटेशन रद करने के ऑर्डर जारी कर दिए, लेकिन निदेशालय की आरटीई ब्रांच में कार्यरत इन शिक्षकों के लिए कोई ऑर्डर जारी नहीं हुए और न ही इन्हें अपने मूल जिलों में जाकर काम करने को कहा गया है।
शिक्षा का अधिकार सिखाने वाली यह ब्रांच खुद ही आरटीई के नियमों की अवहेलना कर रही है, क्योंकि शिक्षक से किसी प्रकार का क्लेरिकल काम नहीं लिया जा सकता, लेकिन इस ब्रांच में जो कर्मी काम कर रहे हैं, वह सभी शिक्षक ही हैं।
विभाग करें प्रयास
प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव दीपक गोस्वामी का कहना है कि प्राथमिक शिक्षा को पटरी पर लाने के लिए विभाग को कुछ करना चाहिए। इसमें मात्र शिक्षक ही दोषी नहीं है, बल्कि सभी नीतियों पर मंथन किया जाना जरूरी है।
अन्य विभागों में भी कर रहे काम
शिक्षक केवल शिक्षा विभाग में ही क्लेरिकल का काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे निर्वाचन कार्यालयों में भी क्लेरिकल काम पर सालों से लगे हुए हैं। नई सरकार बेशक कर्मचारियों को काम करने की नसीहत देते नजर आ रही हो, लेकिन शिक्षा विभाग में इसका कोई असर नहीं। जिला और खंड स्तर पर इनकी संख्या 200 से 350 तक है। अंतरिम व्यवस्था के नाम पर सैकड़ों शिक्षक अपने मनमर्जी के स्कूलों में नौकरी कर रहे हैं, जबकि उनके स्कूलों में बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा है ऐसे में उन बच्चों के भविष्य को लेकर कोई भी गंभीर नहीं। dj
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