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Monday, 5 January 2015

कंप्यूटर शिक्षा के नाम पर कंपनियों ने डकारे करोड़ों

** टेंडर के विरुद्ध अब तक हड़प चुकी लगभग 25 करोड़ रुपये  
** ईएसआइ के नाम पर शिक्षकों के वेतन से ढाई करोड़ निकाले
चंडीगढ़ : हरियाणा के सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा मुहैया कराने के नाम पर तीन निजी कंपनियों ने करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे किए हैं। नियमों का उल्लंघन कर दो सालों में कंपनियों ने कंप्यूटर शिक्षकों और आवेदकों की जेबें जमकर काटी। कभी सिक्योरिटी व प्रशिक्षण के नाम पर तो कभी आवेदन और ईएसआइ के नाम पर अवैध वसूली की गई। कंपनियों ने शिक्षा विभाग को भी नहीं बख्शा।
गरीब बच्चों को हर सत्र में मुफ्त किताबें उपलब्ध कराने के लिए बजट तो ले लिया गया, लेकिन एक भी किताब स्कूलों में नहीं पहुंचाई गई। शिक्षकों के वेतन से ईएसआइ के नाम पर काटी गई राशि कहां गई, इसका भी कोई अता-पता नहीं है। कंप्यूटर शिक्षक कंपनियों के घोटालों के सारे दस्तावेज बीते दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा को सौंप चुके हैं। शिक्षा मंत्री रामबिलास ने बीते शनिवार को कंप्यूटर शिक्षकों को कंपनियों के भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच कराने का आश्वासन दिया है। अगर निष्पक्ष जांच हुई तो कंपनियों पर गाज गिरना तय है। उन्होंने टेंडर के अनुच्छेद संख्या 2.2.3 व अनुच्छेद संख्या 2.2.3 (दो) की अवहेलना की है। 
विवाद सुलझाने की प्रक्रिया 6 से
निजी कंपनियों को स्कूल शिक्षा विभाग अपनी जांच में दोषी पा चुका है। अनियमितताएं उजागर होने पर शिक्षा विभाग ने कंपनियों को टेंडर रद करने का तीन बार नोटिस जारी किया था। इसके विरुद्ध वे हाईकोर्ट चली गईं। हाईकोर्ट ने सितंबर 2014 में स्कूल शिक्षा विभाग के वित्तायुक्त को विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया था। विभाग के वर्तमान वित्तायुक्त टीसी गुप्ता 6 जनवरी से कंपनियों और शिक्षकों के बीच चला आ रहा विवाद सुलझाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। 
अवैध वसूली की कैसे होगी रिकवरी : 
यह सवाल बरकरार है कि कंपनियों द्वारा शिक्षकों से की गई अवैध वसूली की रिकवरी कैसे होगी। शिक्षकों को सिक्योरिटी राशि, ट्रेनिंग, ईएसआइ और आवेदन के नाम पर अधिक वसूली का पैसा वापस मिलेगा या नहीं। दिसंबर 2013 के बाद लगभग 1350 शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है।
निजी कंपनियों ने यूं की धांधली 
  • अगस्त 2013-2014 में कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती के लिए 25 हजार आवेदकों से 250 रुपये की जगह 750 रुपये आवेदन फीस वसूली। एक करोड़ 25 लाख रुपये उगाही।
  • गरीब बच्चों को दो सत्र में एक भी मुफ्त किताब नहीं दी। प्रत्येक सत्र में साढ़े छह लाख पुस्तकें मुहैया कराने के नाम पर 13 करोड़ रुपये का घालमेल। 
  • शिक्षकों के वेतन से 2013 में 6.75 प्रतिशत कटौती ईएसआइ के नाम पर की। 2.45 करोड़ रुपये काटे। कोई लाभ नहीं दिया। 
  • 2013-2014 में भर्ती 2722 शिक्षकों से अवैध तौर पर 24 हजार रुपये सिक्योरिटी राशि वसूल कर 8 करोड़ रुपये डकारे।
  • ट्रेनिंग के नाम पर 1200 शिक्षकों से 2250 रुपये लेकर 27 लाख रुपये वसूले।                                            dj

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