चंडीगढ़ : हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में अनुबंध पर कार्यरत मुस्लिम लेक्चररों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। भविष्य में नियमित होने पर वही विवाहित लेक्चरर ज्वाइन कर पाएंगे, जिनकी एक से अधिक पत्नी नहीं हों।
यह फैसला पूर्व कांग्रेस सरकार कार्यकाल का है। बीते वर्ष 16 जून को बकायदा मुख्य सचिव कार्यालय से इसकी अधिसूचना 6-7-2014-1-जीएस-1 जारी हुई है। इसका खुलासा 7 जनवरी को पक्का हुए 13 अनुबंध कॉलेज लेक्चरर के नियमितीकरण आदेशों से हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेशानुसार पक्का हुए लेक्चरर को 11 विभिन्न शर्ते ज्वाइनिंग से पहले माननी होंगी। बाकी नियम व शर्त तो सामान्य हैं, मगर शर्त संख्या तीन कुछ विवादास्पद है। इसमें लिखा है कि नियमित ज्वाइनिंग से पहले लेक्चरर को भारतीय संविधान की सत्य निष्ठा से शपथ लेते हुए पुष्टि करनी होगी कि उसकी एक ही पत्नी है। सरकार की इस शर्त का हंिदूू लेक्चरर पर तो कोई असर नहीं पड़ रहा। मगर मुस्लिम समुदाय के काफी कॉलेज लेक्चरर पर यह फिट नहीं बैठ पाएंगे।
पूर्व सरकार की अधिसूचना उन मुस्लिम लेक्चरर के कैरियर पर सवाल खड़े कर सकती है, जिनकी एक से अधिक पत्नियां हैं। यह अलग बात है कि ऐसे लेक्चरर की संख्या अंगुलियों पर गिनने लायक ही होगी पर शर्त ने बखेड़ा खड़ा कर दिया है।
कानूनी तौर पर तर्कसंगत नहीं अधिसूचना : मोर
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता जसबीर मोर का कहना है कि सरकार की अधिसूचना कानूनी तौर पर तर्कसंगत नहीं है। इससे मुस्लिम कॉलेज लेक्चरर के हित प्रभावित होते हैं। इस शर्त के तहत तो अनुबंध पर कार्यरत अनेक मुस्लिम लेक्चरर नियमित हो ही नहीं पाएगा। dj
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