कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के वित्त विभाग के फैसले अब शिक्षकों की जेबों पर भी भारी पड़ने लगे हैं। कुवि ने परीक्षाओं के दौरान एडवांस पेमेंट को बंद कर दिया है, जिसके कारण शिक्षकों को परीक्षाओं के दौरान पहले जेब से खर्च करना पड़ रहा है और बाद में बिल जमा कराने के बाद पैसे मिलते हैं। मगर बाद में बिल पास करने में कुवि कर्मचारी कई बार महीनों लगा देते हैं और कई बार तो सालों भी।
कुवि की वित्त स्थिति को सुधारने के लिए वित्त विभाग नए-नए पैंतरे अपना रहा है। कुवि के नियमों के अनुसार अभी तक परीक्षाओं से ठीक पहले केंद्र अधीक्षकों को कुछ राशि एडवांस के रूप में दी जाती थी। जिसके खर्च से केंद्र अधीक्षक परीक्षाएं करा लेते थे और जो राशि बचती थी या फिर कम रहती थी तो कुवि से ले लेते थे। दिसबंर के बाद से कुवि के वित्त विभाग ने पैसे की तंगी को देखते हुए एडवांस पेमेंट करनी बंद कर दी और इस बार परीक्षओं के दौरान केंद्र अधीक्षकों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ा है और अन्य शिक्षकों को भी ड्यूटी के लिए जेब से ही खर्च कर आना पड़ता है। नियमों के अनुसार अब पेमेंट बिल जमा कराने के बाद ही होगी, जबकि कुवि कार्यालयों में बिल पास करने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि उसे जल्द पास कराना संभव भी नहीं है। ऐसे में कई बार बिल पास कराने के लिए शिक्षकों को कुवि कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते हैं। कुवि में 2013 के ही कई शिक्षकों के बिल लंबित पड़े हैं। जिनको पास कराने के लिए शिक्षकों को चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इसका कारण कुवि का अकाउंट विभाग भी रहा है। वर्ष 2014 में मार्च के अंत तक बिलों को पास करना था। जिसके बाद भी सैकड़ों की संख्या में बिल लंबित थे और 31 मार्च के बाद सोफ्टवेयर की दिक्कत के कारण मामला और लटक गया था। बाद में विभाग ने इंजीनियर बुलाकर साफ्टवेयर में तब्दीली करानी पड़ी थी। उसके बाद भी अब तक काफी संख्या में ये बिल लंबित पड़े हैं। कुवि कुलसचिव डॉ. केसी रल्हाण का कहना है कि वे इस मामले की जांच करेंगे। dj
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