गोहाना : रेशनेलाइजेशन के बहाने से हिन्दी शिक्षकों के पद ही समाप्त कर दिए गए हैं। यह गंभीर आरोप रविवार को समता चौकी के सामने स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित हरियाणा राजकीय हिन्दी अध्यापक संघ की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में लगाया गया। बैठक की अध्यक्षता जीन्द से पहुंचे प्रदेश उपाध्यक्ष सुशील कौशिक ने की। कौशिक के अनुसार अब पूरे राज्य में केवल 1652 हिन्दी शिक्षक रह गए हैं और यह स्थिति तब है जब हिन्दी न केवल राष्ट्रीय भाषा है अपितु अनिवार्य विषय भी है।
प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष सुशील कौशिक ने विक्षोभ व्यक्त किया कि राज्य सरकार हिन्दी को खुले तौर से अपमानित कर रही है। प्रदेश में हिन्दी अनिवार्य विषय और संस्कृत वैकल्पिक विषय है लेकिन संस्कृत के पद को प्रथम और हिन्दी के पद को द्वितीय स्थान पर रखा गया है। यही नहीं, यह प्रावधान भी कर दिया गया है कि कक्षा 9 और 10 में हिन्दी शिक्षक उपलब्ध न होने पर संस्कृत शिक्षक तथा कक्षा 11 और 12 में हिन्दी का जूनियर लैक्चरर न होने पर संस्कृत का जूनियर लैक्चरर पढ़ाएगा। कक्षा 1 से 8 तक के प्राइमरी और मिडल स्कूलों में हिन्दी शिक्षक का पद है ही नहीं।
प्रदेश उपाध्यक्ष ने मांग की कि कक्षा 1 से 12 तक प्रत्येक कक्षा के लिए हिन्दी अध्यापक का पद सृजित किया जाए। उन्होंने रोष व्यक्त किया कि शिक्षा मंत्री से मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक को बार-बार गुहार करने के बावजूद जब कोई सुनवाई नहीं हुई है, तब मजबूरी में केन्द्र सरकार की शरण ग्रहण करनी पड़ रही है।
नहीं मिले अफसर तो कर दी मेल
हरियाणा राजकीय हिन्दी अध्यापक संघ को प्रधानमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन भेंट करना था। रविवार की छुट्टी होने से संयोग ऐसा बना कि ज्ञापन स्वीकार करने के लिए कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं हो सका। ऐसे में ज्ञापन को एस.डी.एम. की आधिकारिक आई.डी. पर मेल कर दिया गया। dt
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