** हफ्ते में 3 दिन दुग्ध आहार तो नहीं मिला अब फतेहाबाद में मुख्यमंत्री ने की नई घोषणा
** प्रति बच्चा 6 रुपए बजट, 200 ग्राम फ्लेवर्ड मिल्क 20 रुपए का
** सीएम बोले-योजना पर सालाना 83 करोड़ खर्च
फतेहाबाद/रोहतक/पानीपत : अगले साल अप्रैल से स्कूल में मिड डे मील में सप्ताह में तीन दिन बच्चों को 200 ग्राम दूध मिलेगा। बुधवार को सीएम मनोहरलाल खट्टर ने फतेहाबाद में कार्यकर्ता सम्मेलन में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि पौष्टिक आहार देने के मकसद से यह योजना बनाई है। इस पर सालाना 83 करोड़ रुपए खर्च होंगे। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन के मामले में पंजाब को पीछे छोड़कर पहले नंबर पर लाने की कोशिश है।
सीएम ने 22 जनवरी को एक ही दिन प्रदेश में 22 नए कॉलेजों का शिलान्यास की घोषणा भी दोहराई। नोट बंदी पर सीएम बोले कि इससे कुछ दिन तो तकलीफ होगी, लेकिन बाद में इसे अच्छे परिणाम आएंगे। भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए हमारी केंद्र सरकार पहले सुनार की तरह हलके हलके वार कर रही थी, लेकिन 8 नवंबर को नोट बंदी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौ सुनार की एक लुहार की कहावत को सच करते हुए जोर का वार किया। बाबा नरेंद्र मोदी 31 दिसंबर के बाद क्या करेंगे, किसी को नहीं पता, लेकिन जो भी होगा देश हित में होगा।
वीटा दूध सप्लाई को तैयार, केंद्र से बजट का इंतजार
"वीटाप्लांट से बच्चों को मिड-डे-मील के लिए दूध उपलब्ध करवाया जाएगा। इस विषय में योजना पर काम चल रहा है। केंद्र से बजट आने में कुछ देरी हो रही है।"-- मनीष ग्रोवर, सहकारिता राज्यमंत्री
हफ्ते में 3 दिन दूध से बना आहार
स्वर्णजयंती वर्ष में 1 नवंबर से स्कूलों में हफ्ते में तीन दिन दूध से बना आहार देने की घोषणा हुई। लेकिन इस पर प्रति बच्चा 15 रुपए तक खर्च रहा है। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रधान वजीर सिंह कहते हैं कि मिड डे मील का बजट प्रति बच्चा 15 रुपए करने की मांग उठाई गई है।
2 जिलोंमें बाल दूध योजना
जींदसिरसा मिल्क प्लांटों से स्वर्ण जयंती बाल दूध योजना के तहत 200 एमएल दूध भेजने की योजना भी सिरे नहीं चढ़ पाई है।
पैक्ड फूड देने की:
सरकारने घोषणा की थी कि स्कूलों में मिड डे मील के पैक्ड फूड या रेडी टू ईट फूड दिया जाएगा, ताकि अध्यापक मिड डे मील पकाने-परोसने से होने वाली परेशानी से बच सकें। इसके लिए सरकार ने खाद्य सामग्री सप्लाई करने के लिए कुछ संस्थाओं से संपर्क किया लेकिन योजना सिरे नहीं चढ़ी।
सीएमने अब अप्रैल 2017 से सप्ताह में तीन दिन 200 ग्राम दूध देने की घोषणा की जबकि पहले सरकार ने नवंबर से मिड डे मील में तीन दिन दूध से बने पौष्टिक आहार देने की योजना बनाई थी। लेकिन बजट की कमी आड़े गई। अभी तीन की बजाय सिर्फ एक दिन दूध-दलिया बन रहा है। 16 लाख बच्चों को बच्चों को खीर और दूध का अभी इंतजार है। शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पीके दास कह चुके हैं कि शासन स्तर पर मिल्क पाउडर तैयार कराने के लिए सहमति बनाई है।
प्रति बच्चा 6 रुपए बजट, 200 ग्राम फ्लेवर्ड मिल्क 20 रुपए का
एमडीएमयोजना के तहत अभी तक प्रदेश के कक्षा एक से पांच तक में प्रति बच्चे को 4.18 रुपए कक्षा छह से आठ तक में प्रति बच्चे को 5.78 रुपए के हिसाब से डाइट का खर्च मिलता है। एक दिन दूध से बना आहार देने पर प्रति बच्चा 10 से 13 रुपए तक खर्च आता है। पिछले दिनों सहकारी दुग्ध समिति वीटा की ओर से सरकार को स्कूलों में फ्लेवर्ड दूध सप्लाई करने का प्रपोजल दिया गया था। हालांकि सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहं लिया है। फिलहाल मार्केट में फ्लेवर्ड मिल्क की 200 ग्राम की बोतल 20 रुपए में मिलती है।
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