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Sunday, 11 December 2016

प्रदेश सरकार का कर्मचारियों को आदेश : सप्ताह में कैशलेस ट्रांजेक्शन जरूरी, देना होगा सबूत

** हर कर्मचारी को देना होगा मोबाइल एप डाउनलोड करने कैश लेस ट्रांजेक्शन का सर्टिफिकेट
** सरकार का तुगलकी आदेश नहीं मानेंगे कर्मी: लांबा 
राजधानी हरियाणा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैश लैस इकॉनॉमी की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए कैश लैस ट्रांजेक्शन एक तरह से अनिवार्य कर दिया है। अब हर कर्मचारी को अपने मोबाइल में यूपीआई, यूएसएसडी, एसबीआई बडी जैसी बैंकिंग मोबाइल एप डाउनलोड करनी होंगी। इतना ही नहीं उसे सप्ताह में कम से कम एक ट्रांजेक्शन इस एप के जरिए करके अपने विभागाध्यक्ष या नोडल अधिकारी को सर्टिफिकेट भी देना होगा। इन आदेशों के बाद राजधानी चंडीगढ़ समेत प्रदेशभर में फील्ड अधिकारियों ने कर्मचारियों को मोबाइल एप डाउनलोड करके कैश लैस ट्रांजेक्शन करने के लिए मजबूर करना शुरू कर दिया है। स‌र्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने सरकार के इस फैसले को तुगलकी आदेश करार दिया है। संघ ने कहा है कि 11 दिसंबर को जींद में होने वाली कर्मचारियों की आक्रोश रैली में यह भी एक मुद्दा होगा। 
इधर, राज्य कर्मचारियों के लिए अपने मोबाइल फोन में बैंकिंग एप डाउनलोड करके वीकली ट्रांजेक्शन अनिवार्य बनाने के मामले में सरकारी अफसर आधिकारिक तौर पर बोलने को तैयार नहीं है। सीएम मनोहर लाल खट्टर, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और चीफ सेक्रेटरी डीएस ढेसी की मीटिंगों का हवाला देकर अफसर बोल रहे हैं कि सरकार के निर्देशों का पालन करवाया जा रहा है। एडिशनल चीफ सेक्रेटरी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी लेवल के कुछ अधिकारियों का कहना है कि सभी कर्मचारियों को खुद ही कैश लैस ट्रांजेक्शन नहीं करना है, बल्कि और लोगों को भी सिखाना है, लेकिन इसे कंपलसरी आदेश के तौर पर लेकर मोटीवेशन के रूप में लिया जाना चाहिए। इधर, हरियाणा रोडवेज विभाग में ई-टिकटिंग की सुविधा जल्द ही दी जाएगी। परिवहन मंत्री कृष्णलाल पंवार ने कहा कि इसके लिए 1.35 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। 
सरकार का तुगलकी आदेश नहीं मानेंगे कर्मी: लांबा 
सर्वकर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश महासचिव सुभाष लाबा का कहना है कि यह कर्मचारी की स्वेच्छा और सुविधा होनी चाहिए कि वह कैश लैस ट्रांजेक्शन करे या करे। इस तरह का तुगलकी आदेश कर्मचारियों पर थोपा नहीं जा सकता और ही कर्मचारी इस तरह का कोई आदेश मानने के लिए बाध्य हैं। क्योंकि वे सेवा नियमों से कंट्रोल होते हैं और सेवा नियमों में कहीं भी ऐसा प्रावधान नहीं है कि इस तरह के तुगलकी फरमान मानना जरूरी हो। उन्होंने कहा कि हरियाणा में आज भी बहुत से ऐसे कर्मचारी हैं जिनके पास मोबाइल फोन तक नहीं है। अगर सरकार इस आदेश को लागू करवाना ही चाहती है तो वह सभी कर्मचारियों को मोबाइल फोन अपनी ओर से मुहैया करवाने के साथ ही इंटरनेट और मोबाइल भत्ता भी दे। इस मुद्दे को जींद में होने वाली रैली में भी प्रमुखता से उठाया जाएगा। 

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