पानीपत : राज्यशैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की रिपोर्ट खुलासा कर रही है कि पूरे प्रदेश में सोनीपत, महेंद्रगढ़, गुड़गांव, झज्जर रेवाड़ी जिले ही ऐसे हैं, जहां 50 फीसदी बच्चे 50 फीसदी से ज्यादा अंक ले पाए। यह रिपोर्ट पहली से आठवीं कक्षा तक की अर्ध वार्षिक परीक्षा के आधार पर जारी की गई है। यह स्थिति तब है जब सरकार पिछले तीन साल में 1,900 करोड़ रुपये शिक्षा बजट और सर्व शिक्षा अभियान के तहत खर्च करने की बात कह रही है।
हकीकत यह है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी भी है। पिछले चार साल में कोई बड़ी भर्ती पूरी नहीं हो पाई। जो भर्तियां हुईं वह भी विवादों में फंसी। 12 हजार से ज्यादा जेबीटी चयन के बावजूद नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं। प्रदेश में राज्य सरकार और सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्वीकृत प्राइमरी शिक्षकों के 70,090 पदों पर केवल 58,159 ही कार्यरत है। शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास भी मानते हैं कि स्कूलों में शिक्षकों के कुल मिलाकर 40 हजार पद खाली पड़े हैं।
एससीईआरटी की ओर से सितंबर, 2016 में कक्षा एक से आठ तक के किए गए अर्द्ध वार्षिक मूल्यांकन की तुलना यदि 2015 के समकालीन आंकड़ों से की जाए तो सिर्फ 7 फीसदी परफॉर्मेंस सुधरी है। बता दें कि एससीईआरटी की ओर से प्रदेश के 14,094 स्कूलों के 17 लाख 61 हजार 41 बच्चों की ओर से दी गई अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में आए नंबरों का आंकलन किया गया है।
सीएम का निर्वाचन जिला करनाल में भी स्थिति खराब
एससीईआरटी ने अपनी रिपोर्ट में उन जिलों को सबसे बुरी स्थिति में रखा है, जिनमें 40 फीसदी या इससे कम बच्चे ही 50 फीसदी से अधिक अंक ले पाए हैं। इनमें मुख्यमंत्री का निर्वाचन जिला करनाल भी शामिल है। इसके अलावा अलावा कुरुक्षेत्र, पंचकूला, यमुनानगर और मेवात भी इसी श्रेणी में शामिल है। हालांकि यहां पिछले साल की अपेक्षा 6 से 9 फीसदी तक सुधार हुआ है, लेकिन पहले ही खराब स्थिति में चल रहे इन जिलों के 31 से 40 फीसदी बच्चे ही 50 फीसदी या इससे अधिक अंक हासिल कर पाए।
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