नई दिल्ली : देश भर के केंद्रीय विद्यालय के शिक्षकों को साफ निर्देश दिया
गया है कि वे अपनी सेवा से जुड़े मामलों में सीधे मंत्रियों या मंत्रलय के
वरिष्ठ अधिकारियों से पत्र के जरिये संपर्क नहीं करें। साथ ही उन्हें यह भी
हिदायत दी गई है कि अगर वे अपने क्षेत्रीय सांसदों या अन्य जन
प्रतिनिधियों के जरिये भी ऐसे मसलों को उठाएंगे तो उन्हें अनुशासनात्मक
कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। केंद्रीय विद्यालय संगठन ने बाकायदा दिशा
निर्देश जारी कर अपने शिक्षकों को आगाह किया है। सरकार का कहना है कि यह
कदम इसलिए उठाया गया है ताकि अध्यापक अपने ट्रांसफर आदि के लिए सिफारिश
कराने से बचें।
केंद्रीय विद्यालयों के शिक्षकों और अन्य सभी कर्मचारियों
को बकायदा नोटिस जारी कर इस पर उनके दस्तखत भी लिए जा रहे हैं। इसमें कहा
गया है कि वे ऐसे किसी मामले में मानव संसाधन विकास मंत्री या किसी अन्य
गणमान्य व्यक्ति या किसी भी मंत्रलय के वरिष्ठ अधिकारी को सीधे पत्र नहीं
लिखेंगे। केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के आयुक्त संतोष कुमार मल्ल ने
इस संबंध में बीते शुक्रवार को सभी प्रिंसिपल को निर्देश जारी किया है।
सेवा शर्तो का हवाला देते हुए शिक्षकों से कहा गया है कि अगर भविष्य में
कभी इस तरह की बात दोहराई गई तो उनके खिलाफ सेवा संबंधी नियमों (सीसीए और
सीसीएस) के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। शिक्षकों से यह भी कहा गया
है कि वे किसी रिश्तेदार या मित्र के जरिये अथवा किसी सांसद, विधायक आदि
जन प्रतिनिधियों के माध्यम से भी इस तरह के मामले उठाते हैं तो उन्हें
कार्रवाई का सामना करना होगा। आयुक्त का कहना है कि शिक्षक और कर्मचारी खास
तौर पर अपने तबादले रुकवाने या प्रोन्नति आदि के लिए ऐसी सिफारिश कराते
हैं। एचआरडी मंत्रलय के वरिष्ठ सूत्र कहते हैं कि कुछ मामलों में तो
अध्यापक की ऐसी सिफारिश पर सांसदों ने सीधे मंत्री पर भी दबाव बना कर पत्र
लिखवा लिया है। इसी वजह से यह सख्ती करनी पड़ रही है। अब हर शिक्षक को यह
पता होगा कि अगर वे ऐसा कुछ करते हैं तो उनको महंगा भी पड़ सकता है।
हालांकि सूत्र मानते हैं कि इससे अध्यापक स्कूल में होने वाली किसी गड़बड़ी
या अपने प्रिंसिपल आदि की भी शिकायत सीधे उच्च स्तर पर करने से भी बचेंगे।
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