रोहतक : एपीआइएमटी परीक्षा हो या रेलवे ग्रुप-डी या फिर अन्य कोई परीक्षा।
रोहतक की संलिप्तता हर मामले में रही है। हाल ही में हरियाणा
कर्मचारी चयन आयोग की क्लर्क परीक्षा का भिवानी में पर्चा लीक हुआ, इसमें
भी रोहतक में कोचिंग सेंटर संचालक का नाम सामने आया है। यह मामला अभी ठंडा
भी नहीं हुआ था कि बृहस्पतिवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की बीएसपी
परीक्षा के आर्गेनिक कैमेस्ट्री का पेपर लीक हो गया। यूं कह सकते हैं कि
होनहार परीक्षार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करने के गोरखधंधे का रोहतक गढ़
बन गया है। इस गोरखधंधे में माफिया तकनीक को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर
रहा है। दरअसल, पेपर लीक का काम चेन सिस्टम से चलता है। इसमें पेपर लीक
करने वाला कभी भी सामने नहीं आता, क्योंकि वह संस्थान या विभाग से जुड़ा
रहता है। क्योंकि किसी विभागीय व्यक्ति के जुड़े बिना पेपर लीक होने की
संभावना न के बराबर हैं। इसी व्यक्ति से माफिया संबंध स्थापित करता है।
माफिया ही पेपर लीक की सांठगांठ होने के बाद जाल फैलाता है। वह एजेंटों
तैयार करता है। यही एजेंट किसी न किसी ढंग से परीक्षार्थियों से सांठगांठ
कर पर्चा लीक करते हैं। अभी तक जितने भी खुलासे हुए हैं, पुलिस ऐसे ही
एजेंटों को पकड़ पाई है। माफिया तक पहुंचने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत
करनी पड़ती है। एआइपीएमटी पर्चा लीक का मास्टर माइंड रूपराम दांगी को पुलिस
एक वर्ष बाद गिरफ्तार करने में कामयाब हुई थी।
एआइपीएमटी पेपर लीक को लेकर हुआ था बखेड़ा
तीन मई 2015 को रोहतक में एआइपीएमटी पेपर लीक का भंडाफोड़ किया गया था। इस गिरोह का सरगना रोहतक के मदीना गांव निवासी रूपराम दांगी था, जिसने पूरे देश में अपना नेटवर्क फैलाकर परीक्षार्थियों से करोड़ों रुपये ठगे थे। वहीं, दूसरी ओर इस संबंध में रोहतक पुलिस ने यह बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए लंबी लड़ाई लड़ी और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस परीक्षा को रद करने के आदेश जारी किए। सीबीएसई ने बाद में रोहतक को खराब स्टेशन में शामिल करते हुए परीक्षा केंद्र भी नहीं बनाया।
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