चंडीगढ़ : हरियाणा के शिक्षा विभाग द्वारा मेधावी गरीब बच्चों के दाखिले का
शेड्यूल जारी करने के बाद निजी स्कूल खाली सीटों का ब्योरा नहीं दे रहे
हैं। प्रदेश के करीब 4800 निजी स्कूलों में 28 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इनमें
से 2.80 लाख सीटों पर गरीब मेधावी बच्चों की दावेदारी बनती है, लेकिन निजी
स्कूल अपने यहां न तो खाली सीटें दिखा रहे और न ही मेधावी गरीब बच्चों को
दाखिला देने को तैयार नजर आ रहे हैं। पिछले साल भी मात्र 60 हजार गरीब
मेधावी बच्चों को ही दाखिला मिल पाया था।
प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत पहली कक्षा के बच्चों के साथ-साथ हरियाणा
स्कूल शिक्षा नियमों के तहत गरीब मेधावी बच्चों को दिए जाने वाले दाखिलों
का शेड्यूल घोषित कर दिया है। इन नियमों के तहत कक्षा दो से आठ और कक्षा नौ
से 12 तक के बच्चे निजी स्कूलों में दस प्रतिशत सीटों पर दाखिला पाने के
हकदार हैं। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले और दो लाख रुपये तक की
आय वाले हर जाति-वर्ग के अभिभावक इस श्रेणी में आते हैं।
हरियाणा स्कूल
शिक्षा नियमों के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसद बच्चे निश्शुल्क प्रवेश के
हकदार हैं, लेकिन पिछली हुड्डा सरकार ने इसे घटाकर 10 फीसद कर दिया था।
सत्यवीर हुड्डा के अनुसार पिछले साल करीब एक लाख बच्चों को सीटों के अभाव
में वंचित कर दिया गया। कुछ को टेस्ट में फेल दिखा दिया गया। मगर नए सत्र
के लिए शेड्यूल जारी होने के बावजूद अभी तक निजी स्कूलों ने खाली सीटों का
ब्योरा नहीं दिया है। उन्होंने अभिभावकों से भी इनकम सर्टिफिकेट, जन्म
प्रमाण पत्र और डोमिसाइल बनवाकर तैयार रखने का अनुरोध किया है। हुड्डा के
अनुसार निजी स्कूलों में 25 फीसद सीटों पर दावेदारी को फिर से कोर्ट में
दमदार पैरवी की जाएगी। हरियाणा निजी स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष
कुलभूषण शर्मा का कहना है कि सरकार शहरी स्कूलों को 300 रुपये और ग्रामीण
स्कूलों को मात्र 200 रुपये प्रति बच्चे का मासिक भुगतान करेगी, जो कि बेहद
कम है। इस राशि को 1500 रुपये प्रति छात्र किया जाना चाहिए।
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