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Tuesday, 14 February 2017

अब लड़कियों के स्कूलों में नहीं लगेंगे 50 से कम उम्र के शिक्षक

** तबादला नीति में बदलाव, शिक्षिकाएं या 50 पार के शिक्षक लगेंगे
पंचकूला : प्रदेशसरकार ने अपनी नई टीचर ट्रांसफर नीति में बदलाव किया है। इसके तहत 50 साल या उससे अधिक उम्र के टीचरों को ही सीनियर गर्ल्स स्कूल में भेजा जाएगा। नई पॉलिसी के अनुसार टीचरों की उम्र 30 जून 2016 तक कम से कम 50 वर्ष होनी चाहिए। यह पॉलिसी अब नए सत्र 2017-2018 से मार्च माह में हाने वाले तबादला  नीति में लागू होगी। 

पंचकूला निदेशालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नई आॅनलाइन ट्रांसफर पाॅलिसी में टीचर अपनी पसंद के अनुसार स्कूल का चयन कर सकते हैं। इसके लिए ऑनलाइन फार्म उपलब्ध हैं। इस 2016-17 से घोषित हुए इन नए नियम का अब तक हुई आॅनलाइन ट्रांसफरों में पालन किया जा रहा है। यदि गलती से कोई टीचर इन गर्ल स्कूलों में आनलाइन आवेदन कर भी देता है तो साॅफ्टवेयर इसे रिजेक्ट कर देता है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने घोषणा की थी कि 30 जून 2016 तक जिन टीचरों की उम्र 50 वर्ष से कम है उन्हे सीनियर गर्ल्स स्कूल में नहीं भेजा जाएगा। यहां तक कि अगर 50 से कम उम्र होने के बावजूद कोई टीचर फॉर्म भरता है तो वह मान्य नहीं होगा। 
अपवाद : सिर्फ पुरानी बातें सीखेंगी 
50साल से अधिक के उम्र वाले टीचरों को सीनियर गर्ल्स स्कूल में भेजना शिक्षाविदों के लिए आश्चर्य की बात है क्योंकि इस नई पॉलिसी से छात्राएं केवल एक ही उम्र के शिक्षकों के विचारों और उनके अनुभवों को समझ पाएंगी। इस तरह के उम्र दराज शिक्षकों से छात्राएं केवल पुरानी बातें ही सीख पाएंगी। सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में युवा टीचरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में वे नए टीचरों के विचारों से वंचित रह जाएंगी। 
शिक्षकसंघ ने बेतुका बताया फैसला 
राजकीयप्राथमिक शिक्षक ने इस नियम को बेतुका बताया है। संघ के प्रदेश महासचिव दीपक गोस्वामी ने कहा कि इस पॉलिसी से लगता है कि युवा पुरुष शिक्षकों की कमी हो गई या फिर युवा शिक्षक इस पद के काबिल नहीं हैं। 
सुरक्षाकी दृष्टि से फैसला : डीईईओ 
पंचकूलाकी डीईईओ सुजाता राणा ने बताया कि प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग द्वारा यह निमय बनाया गया है, जिसमें गर्ल्स स्कूलों में 50 वर्ष से कम आयु के अध्यापकों को नहीं लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुछ चरित्रहीन अध्यापकों द्वारा छात्राओं के साथ गुरु की गरिमा को ठेस पहुंचाने के मामले सामने चुके हैं। इसके बाद छात्राओं की सुरक्षा को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। 


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