** पुलिस उन लोगों पर भी कार्रवाई करेगी, जिन्होंने डिग्रियां खरीदी हैं
नई दिल्ली : राजधानी समेत कई राज्यों में 10वीं से एमबीबीएस व पीएचडी तक की फर्जी डिग्री बेचने वाले गिरोह के चार आरोपियों को गिरफ्तार कर दिल्ली पुलिस ने बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। गिरोह के सरगना रितेश कुमार, रूपेश कुमार, सोमीर कुमार व मुकेश ठाकुर के पास से 200 फर्जी डिग्रियां, लैपटॉप, पांच मोबाइल फोन बरामद हुए हैं। आरोपी फर्जी वेबसाइट बनाकर फर्जी डिग्री बनाकर बेचते थे और अब तक दो हजार से अधिक डिग्रियां बेच चुके हैं। आरोपियों को 2014 में भी गिरफ्तार किया गया था।
पश्चिमी जिला डीसीपी विजय कुमार ने बताया कि 23 जनवरी को शाहबजुल हक नामकव्यक्ति ने तिलक मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें उसने जनकपुरी स्थित कंसल्टेंसी ऑफिस में रूपेश कुमार (27) से 10वीं में दाखिले के संबंध में संपर्क किया था। रूपेश ने उन्हें भरोसा दिलाया कि दाखिला ले लें, कोर्स पूरा होने पर मार्कशीट मिल जाएगी। 25 हजार रुपये में मार्कशीट का सौदा तय हुआ। शाहबजुल ने रूपेश को पांच हजार रुपये नकद दिए थे। शाहबजुल ने दाखिला लिया था। रूपेश ने वाट्सएप के जरिए उसे इंटरमीडिएट स्कूल काउंसिल ऑफ इंडिया की मार्कशीट भेजी, लेकिन 2003 की मार्कशीट मिलने पर शाहबजुल को फर्जीवाड़े की आशंका हुई, और उसने पुलिस को शिकायत दी। एसीपी अलाप पटेल, एसएचओ शिव कुमार, राजपाल सिंह, वेदपाल की टीम ने सूचना पर रुपेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया। उसने बताया कि शाहबजुल को दी गई डिग्री बिहार के भागलपुर जिले के भीकनपुर गुमटी निवासी रितेश कुमार (29) ने उपलब्ध कराई थी। उसने यह भी बताया कि उसके गिरोह में हरियाणा के रोहतक जिले के राजेंद्र नगर निवासी सोमीर कुमार (36) और दिल्ली के देवली निवासी मुकेश ठाकुर (27) भी शामिल हैं। पुलिस ने तीनों को पकड़ लिया।
पूछताछ में मास्टर माइंड रितेश कुमार ने बताया कि उन्होंने फर्जी डिग्री का गिरोह चलाने के लिए सरकारी वेबसाइट आइसीएसई की तरह इंडिया आइसीएसई नाम से फर्जी वेबसाइट बनाई थी। जिस पर सभी डिग्री की कॉपी उपलब्ध कराते थे।
दिल्ली-रोहतक से बिहार तक की बनाते थे डिग्री
पूछताछ में रितेश ने बताया कि भागलपुर समेत बिहार के विश्वविद्यालयों की डिग्री वह बनवाता था, जबकि सोमीर कुमार रोहतक विश्वविद्यालय की डिग्रियां बनवाता था। मुकेश ठाकुर व रुपेश कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय समेत कई विश्वविद्यालयों की डिग्रियां उपलब्ध कराते थे। उन्होंने जनकपुरी में एक कंसल्टेंसी एजेंसी खोली थी। जहां पर लोगांे का पंजीकरण करते थे और फिर मोटी रकम लेकर दसवीं से एमबीबीएस और पीएचडी तक की फर्जी डिग्री दे देते थे। सोमीर अपने साथियों के माध्यम से हरियाणा के भिवानी से भी डिग्री बनवाता था।
पांच लाख में एमबीबीएस
फर्जी डिग्री बेचने वाले गिरोह ने 10वीं से लेकर एमबीबीएस की डिग्री तक के रेट तय कर रखे थे। पांच लाख रुपये में एमबीबीएस और 55 हजार रुपये में बीएड की डिग्री देता था। 10वीं और 12वीं की मार्कशीट के लिए आरोपी 15 से 25 हजार रुपये लेते थे। एमबीए की डिग्री के 60 हजार व बीए की डिग्री के लिए 55 हजार रुपये लिए जाते थे। वहीं एमबीबीएस की डिग्री के दो से पांच लाख रुपये और पीएचडी की डिग्री के लिए भी दो से तीन लाख रुपये लेते थे। 1
खरीदने वाले भी नपेंगे
गिरोह के अलावा पुलिस उन लोगों पर भी कार्रवाई करेगी, जिन्होंने डिग्रियां खरीदी हैं। पुलिस की मानें तो ऐसा संभव है कि गिरोह से ली गई फर्जी डिग्री के आधार पर ग्रामीण इलाकों में लोग एमबीबीएस की प्रैक्टिस कर रहे हों या फिर इसका इस्तेमाल नौकरी पाने में भी किया गया हो। वहीं, दूसरी ओर इस संबंध में पुलिस की मानें तो गिरोह के तार बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के विश्वविद्यालयों से जुड़े हो सकते हैं।
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