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Saturday, 11 February 2017

शिक्षकों की तबादला नीति में होगा बदलाव

** सॉफ्टवेयर अपडेट, तकनीकी खामियां होंगी दूर
** 15 मार्च से रेशनलाइजेशन प्रक्रिया शुरू, जून तक होंगे तबादले
चंडीगढ़ : प्रदेश में शिक्षकों की तबादला नीति में फिर अहम बदलाव की तैयारी है। ऑनलाइन तबादलों के अनुभव और तकनीकी खामियों के आधार पर नियमों में संशोधन का खाका तैयार कर लिया गया है। प्रस्ताव को मुहर के लिए जल्द ही सरकार के पास भेजा जाएगा। शिक्षा विभाग का लक्ष्य है कि इस बार गर्मियों की छुट्टियों से पहले शिक्षकों की तबादला प्रक्रिया पूरी कर ली जाए, ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो।
बता दें कि शिक्षकों के तबादलों में भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए पिछले साल नई तबादला नीति बनाई गई थी। इसके तहत ऑनलाइन सिस्टम शुरू करते हुए विभिन्न चरणों में करीब 35 हजार से अधिक शिक्षकों को माउस के एक क्लिक पर मनचाहा स्कूल दिया गया, परंतु तबादला प्रक्रिया के दौरान कई तकनीकी खामियां सामने आईं।
सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी से कई मामलों में कोई विकल्प न भरने के बावजूद शिक्षकों का अपने आप तबादला हो गया तो कहीं स्कूल के मुखिया को ही दूसरे स्थान पर भेज दिया गया। सैकड़ों शिक्षक ऐसे थे जिन्हें मनपंसद स्कूल की जगह गृह जिले से दूर दूसरे स्थान पर जाना पड़ा। बता दें कि इसके विरोध में अध्यापक संघों ने जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किए थे। इस स्थिति से बचने के लिए सॉफ्टवेयर की खामियों को दुरुस्त किया जा रहा है, ताकि ऐसी नौबत दोबारा न आए।
स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्तमुख्य सचिव पीके दास के मुताबिक 15 मार्च को राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के रेशनलाइजेशन का पहला नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। अगले शैक्षणिक सत्र से अपग्रेड किए जाने वाले स्कूलों की रिपोर्ट तैयार है और प्रस्ताव संबंधित स्तर तक भेज दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। अतिरिक्त मुख्य सचिव के मुताबिक अध्यापकों की उपलब्धता एवं जरूरत का डाटा इसी माह के अंत तक तैयार हो जाएगा। 
खासकर जिन अध्यापकों को एक स्कूल में जमे पांच वर्ष पूरे हो गए हैं, उनका विवरण तैयार किया जा रहा है। जिन अध्यापकों का एक स्कूल में पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है और वे अपना ट्रांसफर चाहते हैं तो उन्हें एमआइएस पोर्टल पर अपने आइडी में लॉग-इन करके ‘हां’ का विकल्प देना होगा। एक स्कूल में पांच साल पूरे कर चुके अध्यापकों को अनिवार्य रूप से दूसरे स्कूल में भेजा जाएगा। हालांकि पसंदीदा स्कूल चुनने के लिए उन्हें भी विकल्प दिया जाएगा।’

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