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Tuesday, 28 February 2017

बढ़ा दबाव : स्कूलों के लिए चुनौती बना सीबीएसई का सर्कुलर

** स्कूलों ने कहा, नए सर्कुलर से उनके ऊपर बढ़ेगा आर्थिक बोझ
** बिना तथ्यों का विश्लेषण किए फरमान थोपने की कोशिश बताया
नई दिल्ली : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर सर्कुलर जारी किया है वह स्कूल ही नहीं अभिभावकों के लिए भी चुनौतीपूर्ण है। सर्कुलर के दिशा-निर्देशों को लेकर स्कूल असमंजस की स्थिति में हैं। ज्यादातर स्कूलों का यही कहना है कि सर्कुलर में कुछ ऐसे नियम बनाए गए हैं, जिन्हें व्यवाहारिक तौर पर लागू कर पाना मुश्किल है। साथ ही स्कूलों के ऊपर आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा जिसका असर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अभिभावकों को ही सहन करना पड़ेगा। 
एक नामी स्कूल की प्राचार्या ने बताया कि बिना तथ्यों का विश्लेषण किए ही स्कूलों के ऊपर सीबीएसई फरमान थोपने की कोशिश करता है। बसों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर सभी स्कूल प्रतिबद्ध हैं। साथ ही नैतिक तौर पर स्कूलों की जिम्मेदारी भी बनती है। लेकिन स्कूलों को इसे लागू करने के लिए पर्याप्त समय तो दिया जाना चाहिए। कुछ साल पहले सीबीएसई ने यह आदेश दिया था कि स्कूल बसों में अध्यापिका की मौजूदगी जरूरी है। इस आदेश का काफी स्कूल पालन भी कर रहे हैं और बसों में एक-दो अध्यापिकाएं बस में रहती भी हैं। मगर अब अलग से परिवहन प्रबंधक और प्रशिक्षित महिलाकर्मी की बस में नियुक्ति करना मुमकिन नहीं है। 
उन्होंने बताया कि स्कूल दो साल से अपनी फीस नहीं बढ़ा पा रहे हैं। ऐसे में सीबीएसई के सर्कुलर को अमली-जामा कैसे पहनाया जाए। जिसमें सीसीटीवी कैमरे लगवाने, बस में जीपीएस की व्यवस्था करने, बस में मोबाइल का होना जरूरी हो और गति नियंत्रक लगवाना होगा। इससे तो स्कूलों पर आर्थिक भार ही बढ़ेगा, इससे सबसे ज्यादा प्रभावित अभिभावक ही होंगे। वहीं एक और स्कूल प्राचार्य का कहना था कि दिल्ली में दो हजार से ज्यादा स्कूल हैं। सीबीएसई को इस संबंध में स्कूलों से राय लेना चाहिए था कि क्या स्कूल वास्तविक तौर पर सभी नियमों को पालन कर पाएंगे या नहीं। सीबीएसई धीरे-धीरे निजी स्कूलांे पर अपना बोझ डाल रही है यही नहीं उनकी स्वायत्तता में हस्तक्षेप भी कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली में ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को वैन से स्कूल भेजना पसंद करते हैं, जो कि सबसे असुरक्षित साधन है। लेकिन इस पर किसी प्रकार का अंकुश नहीं लग पाता है। क्योंकि आप अभिभावक को बाध्य नहीं कर सकते हैं। अभिभावकों को कैब की फीस बस से सस्ती लगती है। सीबीएसई के सर्कुलर के मुताबिक स्कूल बस में बच्चों की सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार की लापरवाही बरती जाती है तो इसकी जिम्मेदारी स्कूल प्रमुख एवं प्रशासन की होगी। साथ ही बोर्ड का यह भी कहना है कि स्कूलों की मान्यता तक रद की जा सकती है। सीबीएसई ने सर्कुलर में कोर्ट का भी हवाला दिया है। उधर, दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन का कहना था कि सीबीएसई के इस नए सर्कुलर का हम विरोध करते हैं। बार-बार नए फरमान जारी करके सीबीएसई स्कूलों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है, जिससे स्कूल स्वतंत्र होकर काम नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि उन्होंने भी यही कहा कि स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा हेतु प्रतिबद्ध है, मगर कम से कम स्कूलों से राय तो ली जाए।

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