पानीपत : शिक्षा विभाग की टीम स्कूलों में निरीक्षण करने आएगी तो टीचरों को विद्यार्थियों की काबिलियत साबित करनी होगी। टीचरों को बताना होगा कि उनसे पढ़ने वाला बच्चा कितना योग्य है। टीचर खुद की और विद्यार्थियों की नोटबुक दिखाकर अपना पीछा नहीं छुड़ा सकेंगे। टीचर ने क्या सिखाया यह नहीं चलेगा, बल्कि बच्चों को क्या आता है, इसका महत्व रहेगा। यह व्यवस्था कुछ ही स्कूलों में प्रचलित थी, लेकिन अब हर स्कूल में लागू होगी।
मानव
संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर सीबीएसई भिवानी बोर्ड ने पहली कक्षा
से 8वीं तक लर्निंग आउटकम की व्यवस्था बनाई है। इसमें एनसीईअारटी पहली से
लेकर 8वीं तक हिंदी, इंग्लिश, उर्दू, गणित, सोशल साइंस साइंस जोड़ा जाएगा।
इसमें हर क्लास के लिए बैंचमार्क तैयार किए हैं। इसके तहत हर क्लास में
स्टूडेंट्स की लर्निंग गाइडलाइन में जारी बिंदुओं के मुताबिक होगी। यह
व्यवस्था नए शैक्षणिक सत्र में लागू की जाएगी।
इस तरह रहेगा नया सिलेबस
कक्षा पहली के स्टूडेंट को सामान्य
प्रयोग वाली चीजों के नाम बताने के साथ उनके चित्र दिखाए जाएंगे। जैसे मैन,
डॉग पेन समेत अन्य नाम बोलने के साथ उनके चित्र दिखाए जाएंगे। किसी कहानी
के किरदार का चित्र, एक्टिविटी के जरिए किसी कहानी को सुनाने के साथ उनके
किरदारों के नाम पते बताए जाएंगे। अंग्रेजी में पढ़ने वाले बच्चों का उसी
भाषा में जवाब देना पड़ेगा। कक्षा दूसरी के स्टूडेंट को स्टोरी लाइन के
आधार पर अपनी अभिव्यक्ति देना, पूछे सवाल का जवाब देना शामिल रहेगा। मैथ्स
में कक्षा पहली के स्टूडेंट को एक से लेकर 20 तक के अंक जोड़ना अौर घटाना
अाना चाहिए, लेकिन इसका इस्तेमाल रोजमर्रा में किस तरह करना है, यह भी पता
होना चाहिए। संयुक्त विद्यालय संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं सर छोटू राम
हेरिटेज स्कूल के निदेशक विजेंद्र मान का कहना है रट्टामार पढ़ाई से भी
पीछा छुटेगा। उनका कहना है इससे छात्रों के शिक्षा स्तर में इजाफा होगा।
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