** 15 जून तक मुहिम को सफल बनाने के लिए की पहल
रोहतक : बच्चों के भविष्य को संवारने के साथ-साथ अब सरकारी स्कूल की
अध्यापिकाएं स्वच्छता की दूत बनकर लोगों को खुले में शौच के खिलाफ प्रेरेणा
दे रही हैं। शिक्षा विभाग की मंशा है कि मास्टरनी की बात सुनकर ग्रामीणों
का रुख बदलेगा और गांव ओडीएफ से मुक्त हो पाएंगे। इसके अतिरिक्त सरपंच और
गांव के अन्य जिम्मेदार लोगों की ड्यूटी भी लगाई गई हैं।
गौरतलब है कि अभी
तक शिक्षकों की ड्यूटी मतदान व जनगणना आदि कार्यो के लिए ही लगती थी।
सरकार की मंशा है कि 25 सितंबर तक प्रदेश को खुले में शौच मुक्त कर दिया
जाए। ऐसे में अब शिक्षा विभाग ने महिला शिक्षकों की ड्यूटी गांवों में लगा
दी है। शिक्षक सुबह और शाम के समय गांवों में पहुंच लोगों खासकर महिलाओं को
ओडीएफ के खिलाफ प्रेरित करेंगी। इसके अतिरिक्त उन्हें सफाई पर लेक्चर देते
हुए खुले में शौच न करने के प्रति जागरूक करना है। ओडीएफ के प्रति प्रदेश
की जागरूकता मुहिम के तहत यह जिम्मेवारी लगाई गई है।
जिला मौलिक शिक्षा
अधिकारी परमेश्वरी हुड्डा ने बताया कि अवेयरनेस वीक के तहत महिलाओं को खुले
में शौच करने से रोकने के लिए प्रत्येक प्राथमिक स्कूल से दो-दो महिला
शिक्षिकाओं को तैनात किया गया है। 1वह सुबह और शाम को पांच से सात बजे तक
अपने कार्यक्षेत्र के गांवों में पहुंचकर स्वच्छता की अलख जगा रही हैं।
अभी बाकी है हिचकिचाहट
एक शिक्षिका ने बताया कि सुबह पुरुषों के सामने
जाने से उन्हें लोक लाज का डर रहता था। अब स्कूल का सत्र खत्म हो रहा
है। पढ़े लिखे लोग तो आसानी से समझ जाते हैं लेकिन समाज में कई प्रकार के
लोग हैं जिनसे निपटना आसान नहीं है। ऐसे में अधिकारी भी मौके पर रहें तो उन
पर और दबाव बनेगा।
"हम सबका नैतिक
दायित्व है कि समाज को कुरीतियों के खिलाफ जागरूक करें। ग्रामीण महिलाएं भी
खुले में शौच के लिए जाती हैं। इसके बाद वह अपने साथ घर तक बीमारियां लेकर
आती हैं। इसलिए उन्हें भी जागरूक करना जरूरी है। उन्हें महिला शिक्षक ही
समझा सकती है। वह 24 घंटे की एम्प्लाई हैं। उनकी ड्यूटी सिर्फ अवेयरनेस वीक
के दौरान ही लगाई गई है।"-- परमेश्वरी हुड्डा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी,
रोहतक।
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