गुहला चीका : प्रदेश भर में तकरीबन साढ़े पांच हजार मौलिक स्कूल मुख्य अध्यापक (एलिमेंटरी हैडमास्टर) को नियुक्त किए लगभग छह माह बीत चुके हैं। लेकिन आज तक उन्हें डीडी पावर, कार्य शक्ति व उत्तरदायित्व पत्र नहीं सौंपे हैं। रुतबा मिलने के बाद अब गुरुजी अपने अधिकार पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।गत दिवस हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष रमेश मलिक के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल शिक्षामंत्री गीता भुक्कल से मिला। हालांकि मुलाकात की जानकारी देते हुए प्रधान रमेश मलिक ने बताया कि शिक्षामंत्री ने उनकी कुछ मांगों पर अपनी सहमति दी है। लेकिन मास्टर वर्ग को पहले भी कई बार आश्वासन मिल चुके हैं। मलिक ने कहा कि मौलिक स्कूल मुख्य अध्यापकों को ना तो अपने अधिकारों का पता है तथा न ही अपनी जिम्मेदारियों का ज्ञान है। सरकार ने जून महीने में 5548 मास्टरों को हेड मास्टरी का रुतबा तो दे दिया पर यह बताने की जहमत नहीं उठाई कि इस पद पर रहते उन्होंने करना क्या है। आलम ये है कि थोड़े दिन तक अपनी प्रमोशन से खुश हुए मास्टर जी अब केवल नाम के ही हैडमास्टर बनकर रह गए हैं।
इसलिए बनाए थे हेडमास्टर
केन्द्र सरकार ने वर्ष 2009 में शिक्षा का मौलिक अधिकार अधिनियम लागू किया था। उसी कड़ी में हरियाणा सरकार ने भी इस विधेयक को विधानसभा में पारित कर उसे मंजूरी दे दी थी। इस विधेयक में मौलिक स्कूल हैडमास्टर का विशेष उल्लेख है, जिसकी जिम्मेदारी अपने संस्थान में शिक्षा के मौलिक अधिकार को लागू करना तय किया हुआ है। हरियाणा सरकार ने इस विधेयक के तहत 5548 मौलिक स्कूलों में मौलिक स्कूल मुख्य अध्यापकों (एलिमेंटरी हैडमास्टर) के पद सर्जित कर उन पर अध्यापकों को पदोन्नति कर पदों को जून 2013 में भरा गया। हैरानी की बात तो यह है कि मौलिक स्कूल मुख्य अध्यापकों की नियुक्तियां तो हो गईं, लेकिन उन्हें करना क्या है यह तय करना सरकार लगता है भूल गई। चिट्ठियां लिखकर हारे, परिणाम शून्य
मौलिक शिक्षा निदेशक डी सुरेश को जून 2013 में ही मांग पत्र देकर गुहार लगाई थी की मौलिक स्कूल हैडमास्टर को शक्तियां दी जाएं।
निदेशक डी सुरेश ने एस समय आश्वास दिया था कि शीघ्र ही उनको डीडी पावर, कार्य शक्तिऔर उत्तरदायित्व के पत्र भेज दिए जाएंगे, लेकिन परिणाम शून्य रहा।
नवंबर में एसोसिएशन के पदाधिकारी शिक्षा विभाग की वित्तायुक्तएवं प्रधान सचिव सुरीना राजन से मिला था। उन्होंने भी भरोसा दिलाया था कि एक सप्ताह के भीतर अधिकार पत्र सौंप दिए जाएंगे।
एसोसिएशन का एक दल एक दिसंबर को शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल से मिलकर उनसे अपनी व्यथा कह चुका है।
अब हैडमास्टर का कहना है कि वे सरकार को चिट्ठियां लिख-लिखकर हार चुके हैं, लेकिन उन्हें बताने वाला कोई नहीं कि वे तथाकथित हेडमास्टर बनाए क्यों गए हैं? अब हैडमास्टर ने आंदोलन की तैयारी कर ली है।
"हमें यह समझ नहीं आ रहा कि आखिर प्रदेश सरकार की मंशा क्या है। जो हैडमास्टर स्कूल में एक पैसा नहीं खर्च सकता, स्कूल को लेकर कोई छोटा मोटा निर्णय नहीं ले सकता तो फिर उसके होने या नहीं होने का मतलब क्या है। अगर सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी तो अब सिर्फ आंदोलन ही विकल्प बचा है। इसलिए हम जल्द सड़क पर उतरकर विरोध जताएंगे।"--रमेश मलिक, प्रदेशाध्यक्ष, मौलिक स्कूल मुख्य अध्यापक db
मौलिक शिक्षा निदेशक डी सुरेश को जून 2013 में ही मांग पत्र देकर गुहार लगाई थी की मौलिक स्कूल हैडमास्टर को शक्तियां दी जाएं।
निदेशक डी सुरेश ने एस समय आश्वास दिया था कि शीघ्र ही उनको डीडी पावर, कार्य शक्तिऔर उत्तरदायित्व के पत्र भेज दिए जाएंगे, लेकिन परिणाम शून्य रहा।
नवंबर में एसोसिएशन के पदाधिकारी शिक्षा विभाग की वित्तायुक्तएवं प्रधान सचिव सुरीना राजन से मिला था। उन्होंने भी भरोसा दिलाया था कि एक सप्ताह के भीतर अधिकार पत्र सौंप दिए जाएंगे।
एसोसिएशन का एक दल एक दिसंबर को शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल से मिलकर उनसे अपनी व्यथा कह चुका है।
अब हैडमास्टर का कहना है कि वे सरकार को चिट्ठियां लिख-लिखकर हार चुके हैं, लेकिन उन्हें बताने वाला कोई नहीं कि वे तथाकथित हेडमास्टर बनाए क्यों गए हैं? अब हैडमास्टर ने आंदोलन की तैयारी कर ली है।
"हमें यह समझ नहीं आ रहा कि आखिर प्रदेश सरकार की मंशा क्या है। जो हैडमास्टर स्कूल में एक पैसा नहीं खर्च सकता, स्कूल को लेकर कोई छोटा मोटा निर्णय नहीं ले सकता तो फिर उसके होने या नहीं होने का मतलब क्या है। अगर सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी तो अब सिर्फ आंदोलन ही विकल्प बचा है। इसलिए हम जल्द सड़क पर उतरकर विरोध जताएंगे।"--रमेश मलिक, प्रदेशाध्यक्ष, मौलिक स्कूल मुख्य अध्यापक db
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