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Wednesday, 18 December 2013

ढूंढ़ते रह गए, न तो स्कूल मिला और न ही बच्चे।


भिवानी : डीएड कालेज में गए तो न पढ़ने वाले मिले और न ही पढ़ाने वाले। कालेज का यह हाल हैरान करने वाला तो था ही। अब लगे हाथ पास के ही निजी स्कूल का निरीक्षण किया गया तो बगैर मान्यता के ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में विद्यार्थी पढ़ाए जा रहे थे। बताया गया कि एक अन्य निजी स्कूल के विद्यार्थी यहां पढ़ रहे हैं। इस स्कूल को खोजने निकले तो अब स्कूल ही वहां नहीं मिला। 
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के सचिव डॉ. अंसज सिंह मंगलवार को डीएड कॉलेज व स्कूलों का निरीक्षण करने के लिए निकले थे। सचिव जब निरीक्षण करने पहुंचे, उस समय न तो उन्हें कोई छात्र मिला और न ही शिक्षक। इसके बाद बोर्ड सचिव इसी गांव के निजी स्कूल का निरीक्षण करने लगे। 
स्कूल की जांच की गई तो पता चला कि वह दसवीं कक्षा तक मान्यता प्राप्त है और उसमें ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के बच्चे भी पढ़ाए जा रहे हैं। स्टाफ से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उक्त बच्चे गांव अटेला स्थित निजी स्कूल के हैं। अब बोर्ड सचिव गांव अटेला पहुंच गए और इस निजी स्कूल की खोजबीन में जुट गए। शाम चार बजे तक उन्हें न तो स्कूल मिला और न ही बच्चे।
हर माह किया जाएगा निरीक्षण : डॉ. अंसज सिंह 
शिक्षा बोर्ड के सचिव डॉ. अंसज सिंह ने कहा कि उन्हें तीनों शिक्षण संस्थाओं की शिकायत मिली थी। इसी शिकायत के आधार पर वे निरीक्षण करने के लिए गए थे। लेकिन एक स्कूल ही नहीं मिला तो दूसरे स्कूल में बगैर मान्यता के बच्चे पढ़ाए जा रहे थे। डीएड कालेज में न बच्चे थे और न शिक्षक। अब वे पूरे हरियाणा में महीने में कम से कम एक या दो बार डीएड कालेजों व स्कूलों का निरीक्षण जरूर करने जाएंगे। 
कैसे मिली मान्यता और संबद्धता 
बोर्ड सचिव के निरीक्षण के दौरान उजागर हुए खुलासे को सही मानें तो सवाल उठता है कि आखिर स्कूल भवन के बगैर शिक्षा विभाग ने मान्यता कैसे दे दी। इसके बाद उक्त स्कूल को शिक्षा बोर्ड से संबंद्धता भी मिल गई।इनमें मिला गड़बड़झाला
डीजीएम कालेज आफ एजूकेशन मानकावास, एसडी हाई स्कूल मानकावास और एमएडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल अटेला।                           dj

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