** बीईओ को नहीं जाएगी राशि, पहले कई महीने लग जाते थे स्कूलों तक पैसा पहुंचने में
** डायरेक्टोरेट में प्रदेश के सभी डीईईओ की बैठक
अम्बाला सिटी : मिड-डे-मील योजना को सही तरीके से चलाने के लिए शिक्षा विभाग ने नई नीति तैयार की है। स्कूलों को अब मिड-डे-मील की राशि के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। स्कूलों को योजना का पैसा समय से मिले इसके लिए डायरेक्टोरेट में प्रदेश के सभी जिलों के खंड मौलिक शिक्षा अधिकारियों की बैठक हुई।
बैठक में सभी जिलों के खंड मौलिक कार्यालयों में तैनात एकाउंट स्टाफ व अनुभाग अधिकारी भी मौजूद रहे। बैठक में अधिकारियों को नई नीति के अनुसार पैसा लेने व स्कूलों को भेजने के बारे में ट्रेनिंग दी गई। अब सरकार की ओर से भेजे गए पैसों को विभाग द्वारा सीधे खंड मौलिक शिक्षा कार्यालय के ट्रेजरी एकाउंट में भेजा जाएगा। कार्यालय की ओर से ट्रेजरी के माध्यम से सीधे स्कूलों के खाते में पैसों को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इसमें ब्लॉक शिक्षा अधिकारी की भूमिका खत्म हो जाएगी। पहले इस राशि को विभाग की ओर से खंड मौलिक कार्यालय के बैंक एकाउंट में भेजा जाता था। फिर कार्यालय द्वारा सभी ब्लॉकों को राशि भेजी जाती थी।
ब्लॉक के अधिकारी ने उस राशि को स्कूलों तक पहुंचाते थे। इस सारी प्रक्रिया में समय की बहुत बर्बादी होती थी। योजना के पैसों को स्कूलों तक पहुंचने में महीनों का समय लग जाता था। लेकिन अब नई नीति के आने के बाद स्कूलों को समय पर पैसा मिल जाएगा और स्कूलों में बच्चों को सही तरीके से योजना का लाभ मिल सकेगा।
कई महीने लगते थे योजना की राशि पहुंचने में:
गौरतलब है कि इससे पहले योजना का पैसा आने और पहुंचने में कई महीने लग जाते थे। हालात यह हैं कि मार्च 2013 तक का पैसा भी जिले के तीन ब्लॉकों को ही मिल पाया है। जिले के छावनी, सिटी व बराड़ा ब्लॉक को अभी तक मार्च 2013 का मिड-डे-मील का पैसा नहीं मिल पाया है। ऐसे में स्कूल के बच्चों को मिड-डे-मील कैसे दिया जा रहा है, यह भी कह पाना मुश्किल है। स्कूलों के मुखिया बची हुई मिड-डे मील की राशि में से ही जुगाड़ करके काम चला रहें हैं। अब नीति में बदलाव के बाद स्कूलों को जल्द ही योजना का पैसा मिल जाएगा। इससे छात्रों को मिड-डे-मील देने में परेशानी नहीं होगी।
"पंचकूला डायरेक्टोरेट में प्रदेश के सभी जिला खंड मौलिक शिक्षा अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में मिड-डे मील की राशि को कैसे ट्रेजरी एकाउंट से स्कूलों को सीधे भेजा जाए, इसकी ट्रेनिंग भी दी गई। पहले स्कूलों तक राशि पहुंचने में काफी समय लग जाता था। लेकिन अब कम समय में सभी स्कूलों में योजना का पैसा मिल जाएगा।"--धर्मवीर कादियान, जिला खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी, अम्बाला। db
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