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Tuesday, 3 December 2013

फंड के इंतजार में विद्यार्थी और शिक्षक दोनों तंग

** अप्रैल महीने में ही मिलना था विभाग की ओर से पैसा 
** शिक्षकों को खर्च वहन में आ रही है परेशानी 
** जिलेभर के 821 राजकीय स्कूलों में नहीं पहुंचा सरकारी फंड, विद्यार्थियों को नहीं मिले बैग व स्टेशनरी के पैसे 
कुरुक्षेत्र : केंद्र सरकार ने भले ही शिक्षा का अधिकार कानून बनाकर सभी बच्चों को शिक्षित करने का दावा किया है लेकिन राजकीय स्कूलों में समय पर जरूरी फंड न पहुंचने से शिक्षक और विद्यार्थी दोनों परेशान हैं। राजकीय स्कूलों में अभी तक विभिन्न प्रकार के फंड शिक्षा विभाग की ओर से उपलब्ध ही नहीं करवाए हैं जबकि फंड अप्रैल महीने में आने चाहिए थे। 
सात महीने बीते फिर भी खाली हाथ 
ऐसे में सात महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक शिक्षा विभाग ने स्कूलों के खाते में पैसे ही नहीं डाले हैं। इससे जहां स्कूल के खर्चे चलाने में शिक्षकों को परेशानी हो रही है वहीं विद्यार्थियों के बैग व स्टेशनरी के पैसे न आने के कारण उन्हें भी कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है। 
अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि आखिरकार प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग की इस मामले को लेकर नींद कब टूटती है और कब स्कूलों को पैसा मिल पाएगा। बहरहाल सभी स्कूलों को इंतजार है उस दिन का जब नियमित समय पर स्कूलों को फंड उपलब्ध करवाए जाएंगे। 
एक करोड़ का फंड बकाया 
राजकीय स्कूलों में शिक्षा विभाग की ओर से कई फंड उपलब्ध करवाए जाते हैं। जिनमें स्पोट्र्स फंड के पांच रुपए, बिल्डिंग फंड के पांच रुपए, रेडक्रॉस के 12 रुपए, चाइल्ड वेलफेयर फंड के 24 रुपए और पेरेंटस टीचर अलाउंस के दो रुपए प्रति बच्चा शामिल हैं। इसके अलावा बैग के लिए 120 रुपए प्रति विद्यार्थी, स्टेशनरी के लिए 100 रुपए प्रति विद्यार्थी फंड दिया जाता है। वहीं स्कूल में अन्य खर्च के लिए एक हजार रुपए दिए जाते हैं। यह फंड पिछले दो सालों से नहीं आया। इसके अलावा स्कूलों में स्कूल को व्यवस्थत रखने के लिए 7500 रुपए का फंड दिया जाता है। चिल्ड्रन बैंक अकाउंट ऑपरेटर के लिए भी चार हजार रुपए का फंड उपलब्ध करवाया जाता है। इस तरह से जिलाभर के कुल 821 राजकीय स्कूलों का एक करोड़ रुपए से अधिक का फंड बकाया है। 
पिछले साल के बैग से चला रहे काम 
राजकीय स्कूलों में पढऩे वाले छात्र सौरभ, विनोद, पवन, अमन और बिट्टू ने बताया कि वे पिछले साल के बैग से ही काम चला रहे हैं। इस साल आठ महीने उन्हें स्कूल में आते हुए गुजर चुके हैं लेकिन उन्हें अब तक बैग नहीं मिला। इतना ही नहीं उन्हें स्टेशनरी का सामान भी नहीं मिल पाया है। जिसके कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों ने कहा कि छह महीने बीतने के बाद तो उन्हें किताबें मिल पाई थी अब जब किताबें मिल गई हैं तो बैग और स्टेशनरी उपलब्ध नहीं करवाई जा रही। 
कहां से करें खर्च
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान विनोद चौहान और प्रेस सचिव सूबे सिंह सुजान ने कहा कि जब स्कूलों में विभाग और सरकार फंड ही उपलब्ध नहीं करवाएगी तो ऐसे में शिक्षक कहां से पैसे खर्च करेंगे। शिक्षकों ने कहा कि विभाग प्रत्येक काम में स्कूल के पैसे खर्च करवाने के लिए तो तैयार रहता है लेकिन फंड उपलब्ध करवाने में फिसड्डी है। विनोद चौहान ने कहा कि विद्यार्थी 25 मार्च से स्कूलों में आ रहे हैं ऐसे में आठ महीने का समय गुजर चुका है लेकिन उनके लिए बैग और स्टेशनरी उपलब्ध ही नहीं करवाई गई। जिससे साफ है कि विद्यार्थियों की पढ़ाई के सामान के प्रति विभाग कितना सजग है। इसके अलावा स्कूल में होने वाले सभी खर्च के लिए शिक्षकों को अपनी जेब ही देखनी पड़ती है। अगर समय पर फंड उपलब्ध हों तो शिक्षक भी कामों से बचेंगे नहीं बल्कि समय पर सभी काम होंगे। 
विभाग से नहीं आया फंड
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सुमन आर्य ने बताया कि उन्हें विभाग की ओर से वर्दी के लिए फंड उपलब्ध करवाया गया था, जिसे सभी स्कूलों को तुरंत भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि ऊपर से ही फंड नहीं आ रहे, जिसके कारण आगे स्कूलों में फंड नहीं भेजे जा रहे हैं। सुमन आर्य ने कहा कि वे स्कूलों को फंड दिलवाने के लिए पूरी तरह से गंभीर है। इस बारे में वे आला अधिकारियों के संज्ञान में भी मामला ला चुकी हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही सभी फंड स्कूलों को उपलब्ध हो जाएंगे।                     db 


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