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Wednesday, 18 December 2013

बेहतर शिक्षा के लिए अप्रैल से पायलट प्रोजेक्ट


** शिक्षा में सुधार के लिए 11 पहलुओं पर होगा जोर, पायलट प्रोजेक्ट अप्रैल में गुडग़ांव और मेवात के स्कूलों में शुरू किया जाएगा 
गुडग़ांव : प्रदेश के सरकारी स्कूलों की एकेडमिक क्वालिटी में सुधार के लिए शिक्षा विभाग ने व्यापक योजना तैयार कर ली है। लर्निंग लेवल ऑब्जेक्टिव के तहत स्कूलों में छात्रों को उत्तम शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए जाएंगे। इसके लिए 150 विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाएगा। ये विशेषज्ञ स्कूलों में 11 पहलुओं पर अध्ययन करेंगे। पायलट प्रोजेक्ट अप्रैल में गुडग़ांव और मेवात के स्कूलों में शुरू किया जाएगा। तीन वर्षों में इसे पूरे प्रदेश के स्कूलों में लागू किया जाएगा। प्रोजेक्ट को कॉर्डिनेट करने का काम स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग करेगा। 
इन 11 पहलुओं पर दिया जाएगा ध्यान : 
एकेडमिक क्वालिटी के साथ-साथ सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए इन 11 पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा, जिसमें पहला-बच्चों की लर्निंग लेवल क्वालिटी पर विशेषज्ञ ध्यान देंगे। दूसरा- स्कूल में इंफ्रास्ट्रक्चर व शिक्षकों की कमी दूर की जाएगी। तीसरा, चौथा- शिक्षकों व हेड मास्टरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। पांचवां- जरूरत के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। छठा- यह देखा जाए कि मैनेजमेंट में कहां बदलाव जरूरी है। सातवां- जरूरत के मुताबिक इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराना। आठवां- जरूरत के अनुसार दो स्कूलों को एक में मर्ज करना। नौवां- कल्चरल वर्कशॉप की तरफ ध्यान देना। दसवां- गुडग़ांव और मेवात को डेमोस्ट्रेशन जिला बनाया गया। 
अप्रैल से शुरू होगा प्रोजेक्ट : 
अप्रैल में इस प्रोजेक्ट को गुडग़ांव और मेवात के सरकारी स्कूलों में शुरू किया जाएगा। लिखित परीक्षा के आधार पर जांचा जाएगा कि स्टूडेंट्स कहां स्टैंड करते हैं और कहां बदलाव की जरूरत है। जो भी रिजल्ट निकलेगा, उसी के तहत ट्रेनिंग व अन्य गतिविधियों को शुरू किया जाएगा। प्रोजेक्ट को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रदेश के 150 विशेषज्ञों व बोस्टन ग्रुप का इसमें सहयोग लिया जाएगा। 
गुडग़ांव और मेवात में चलेगा अभियान : 
इस प्रोजेक्ट को गुडग़ांव और मेवात जिले में शुरू किया जाएगा। प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए प्रदेश के अन्य जिलों में इसे शुरू किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से स्कूलों में बच्चों व शिक्षकों के बीच लर्निंग व टीचिंग के वातावरण को फ्रेंडली बनाना है, ताकि स्टूडेंट्स की एकेडमिक क्वालिटी को सुधारा जा सके। दोनों जिलों के इंचार्ज विशेषज्ञ डॉ. दिनेश शास्त्री होंगी। गुडग़ांव से विशेषज्ञ जितेंद्र यादव और मेवात से डॉ. सद्दिक की देखरेख में प्रोजेक्ट को स्कूलों में लागू किया जाएगा। 
क्यों पड़ी जरूरत
विभाग ने महसूस किया है कि शिक्षकों को प्रोत्साहन न मिलने, नॉन एकेडमिक काम होने, शिक्षकों व बच्चों के बीच लर्निंग व टीचिंग वातावरण फ्रेंडली न होने, जैसे कई मुद्दों के चलते बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है। बच्चों के बेहतर शिक्षा देने के लिए इस प्रोजेक्ट की जरूरत है। 
"लर्निंग लेवल ऑब्जेक्टिव के तहत स्कूलों में बच्चों की एकेडमिक स्तर को जांच कर उसे ठीक किया जाएगा, ताकि छात्रों के एकेडमिक स्तर को उनकी कक्षाओं के स्तर के अनुसार मैच किया जा सकेगा। स्टूडेंट्स को अच्छी एकेडमिक शिक्षा मिलने से वे हायर शिक्षा में भी बेहतर परफॉर्म कर सकेंगे।"--सुरीना राजन, शिक्षा वित्तायुक्त, हरियाणा 

हो रही प्री-प्रोजेक्ट कोचिंग 
इस प्रोजेक्ट को अप्रैल में शुरू करने के लिए विशेषज्ञों की टीम की बैठक मंगलवार को स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग में हुई। इस बैठक में प्रदेश के 150 विशेषज्ञ शामिल हुए। इनमें जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी, डाइट प्रिंसिपल एवं विशेषज्ञ, प्राध्यापक, अध्यापक व जेबीटी शिक्षक शामिल हुए। प्री-प्रोजेक्ट कोचिंग के तहत मंगलवार को शिक्षा वित्तायुक्त सुरीना राजन ने विशेषज्ञों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। विशेषज्ञों ने प्रोजेक्ट शुरू होने के समय व उनके काम की जानकारी दी। इस बैठक में प्राथमिक निदेशक डी सुरेश, सर्व शिक्षा अभियान के प्रदेश परियोजना अधिकारी पंकज अग्रवाल, एससीईआरटी निदेशक स्नेहलता, विशेषज्ञ अलोक वर्मा सहित प्रदेश भर के विशेषज्ञ उपस्थित रहे।                                  db

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