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Thursday, 3 July 2014

9870 पीआरटी भर्ती लिस्ट जारी करने में असमंजस की स्थिति में सरकार

** जल्द जारी नहीं हुआ परिणाम तो अगले 5 वर्षों तक भर्ती का लटकना तय 
** सुप्रीम कोर्ट में पीआरटी मामले की सुनवाई 11 को
प्रोविजनल रजिस्टर्ड टीचर्स और गेस्ट टीचर्स सरकार की राजनीति के फेर में फंस गए हैं। यदि अब जल्द ही पीआरटी की लिस्ट जारी नहीं हुई तो अगले 5 साल तक एक बार फिर गेस्ट टीचर्स पीआरटी को इंतजार करना पड़ सकता है। प्रदेश में वर्तमान समय में 6124 गेस्ट टीचर्स कार्यरत हैं। इन गेस्ट टीचर्स को भी कांग्रेस सरकार से पिछले दो प्लान से नियमित करने की उम्मीद है। साथ ही पीआरटी की 9870 सीटों के लिए साक्षात्कार हो चुके हैं। यदि इस समय सरकार पीआरटी लिस्ट जारी करती है तो गेस्ट टीचर्स का विरोध सरकार के प्रति लाजमी है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार नियमित भर्ती के बाद गेस्ट टीचर्स को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। विधानसभा चुनावों के चलते सरकार इस समय कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती जो राजनीति दृष्टि से हानिकारक हो। हाल में कैबिनेट की बैठक में बनाई गई पॉलिसी के तहत गेस्ट टीचर्स को नियमित करने का कदम उठाने का साहस सरकार जुटा पाई है। प्रदेशभर के  करीब 20 हजार से अधिक उम्मीदवारों को पीआरटी भर्ती प्रक्रिया की लिस्ट का इंतजार है। 
सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है केस, 11 को सुनवाई: 
सरकार को दूसरा विरोध सी-टेट 2012, एच-टेट 2013 को भर्ती में शामिल कराने को को लेकर सैकड़ों उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में केस किया हुआ है। कोर्ट के आदेश पर अध्यापक भर्ती बोर्ड इंटरव्यू ले चुका है। ऐसे उम्मीदवारों की संख्या में करीब 4 से 5 हजार के बीच है। केस करने वालों में सी-टेट 2012 के अलावा टीचर भर्ती बोर्ड एच-टेट 2013 पात्रता परीक्षा पास पीआरटी उम्मीदवार शामिल हैं। मामले की सुनवाई 11 जुलाई को होनी है। 
ग्रेस मार्क का मामला भी डबल बेंच में: 
यही स्थिति एच-टेट 2011 में ग्रेस मार्क का केस को लेकर है। इस समय एच-टेट 2011 का केस सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में चल रहा है। इस केस से भी तीन हजार छात्र प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में सरकार असमंजस में फंसी है। 
यह था सुप्रीम कोर्ट का वर्ष 2012 का फैसला: 
वर्ष 30 मार्च 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने गेस्ट टीचर्स नियमित भर्ती मामले में फैसला दिया था कि सरकार उन्हें केवल नियमित भर्ती होने तक स्कूलों में रखेगी। साथ ही 322 दिनों के भीतर राज्य में जेबीटी, लेक्चरर की नियमित भर्ती के आदेश भी दिए थे। 322 दिनों की यह सीमा 16 फरवरी 2013 को समाप्त हो गई थी। उस समय प्रदेश में 16 हजार गेस्ट टीचर्स कार्यरत थे। 
18 दिसंबर 2005 में पहली बार हुई थी गेस्ट टीचर्स की भर्ती: 
गेस्ट टीचर्स पिछले दो प्लान से सरकार की राजनीति की भेंट चढ़ रहे हैं। प्रदेश में पहली बार 18 दिसंबर 2005 में गेस्ट टीचर्स भर्ती किए गए थे। यह प्रक्रिया 13 नवंबर 2007 तक चली थी। 13 नवंबर 2007 के बाद प्रदेश में गेस्ट टीचर्स भर्ती नहीं हुए।
3 साल में नियमित होते हैं गेस्ट टीचर्स 
सरकार ने 18 जून को 3 साल से कार्यरत कर्मचारियों के लिए एक नया अध्यादेश जारी किया। इसके तहत प्रदेशभर में कार्यरत लगभग सभी गेस्ट टीचर्स नियमित होते हैं लेकिन सरकार यहां से भी अपने हाथ पीछे खींच रही है। इस पॉलिसी के नियमित होने के लिए तीन शर्तें रखी गई हैं इनमें कर्मचारी की भर्ती सेंक्शन पोस्ट पर हुई हो, 28 मार्च 2014 तक अनुबंध आधार पर काम करते हुए 3 वर्ष पूरे हो चुके हों भर्ती के समय रिजर्वेशन का प्रावधान हो, यदि ऐसा हो तो भविष्य में विभाग द्वारा रिक्त पदों पर भर्ती बैक लॉग से हो। इन सभी शर्तों को अधिकतर गेस्ट टीचर्स पूरा करते हैं। चूंकि 1 अप्रैल 2009 को गेस्ट टीचर्स कान्ट्रेक्ट पर नियुक्त कर दिए गए थे। 
सरकार कुछ नहीं कर रही 
"करीब 16 हजार गेस्ट टीचर्स प्रदेश में कार्यरत थे। अब केवल 6124 रह गए हैं। सरकार बार-बार आश्वासन दे रही है लेकिन कर कुछ नहीं रही। पीआरटी लिस्ट जारी हो साथ ही हमें हमारा हक भी मिले। ऐसा नहीं होता तो विधानसभा चुनावों में सरकार का विरोध किया जाएगा।"--राजेश शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता, हरियाणा गेस्ट टीचर्स संघ
क्या हैं ग्रेस मार्क सीटेट, एचटेट मामले 
दरअसल वर्ष 2012-13 में एच-टेट की परीक्षा नहीं हुई। इसी दौरान भर्ती निकाल दी गई। मामले को वर्ष 2013 में एच-टेट पास करने वाले उम्मीदवारों ने कोर्ट में डाला। यदि इस दौरान परीक्षा ली जाती तो वे भी पास हो जाते और भर्ती में शामिल होने का हक उन्हें मिलता। कोर्ट ने इस मामले में सरकार को इन टीचर्स के भी साक्षात्कार पीआरटी भर्ती प्रक्रिया में लेने के आदेश दे दिए। कोर्ट यह तय नहीं कर पाई है कि क्या इन टीचर्स ने इस अवधि से पहले एच-टेट या एस्टेट की परीक्षा दी तो नहीं और उसमें कहीं यह फेल तो नहीं हुए। यदि ऐसा है तो 11 जुलाई को होने वाली सुनवाई में साक्षात्कार दे चुके इन टीचर्स को बाहर का रास्ता दिखाया जाना तय है। वहीं वर्ष 2011 से पहले एस्टेट की परीक्षा वालों को शिक्षा विभाग ने मनमाने तरीके से ग्रेस मार्क दिए थे जबकि वर्ष 2011 में एच-टेट की परीक्षा में कुछ अंक से रह गए उम्मीदवारों के साथ ऐसी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।                                    dbambl

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