कुरुक्षेत्र : प्रदेश का शिक्षा विभाग खुद अपने बनाए नियमों का पालन नहीं कर पा रहा। अगर आपको यकीन नहीं होता तो पीजीटी शिक्षक भर्ती मामले का सच जानने के बाद आप भी इस पर यकीन करने लगेंगे।
मामले का खुलासा दो अलग-अलग आरटीआई से मिली जानकारी से हुआ। इसमें पता चला कि पीजीटी शिक्षक भर्ती में शिक्षा विभाग उन यूनिवर्सिटी के आवेदकों की ज्वाइनिंग भी लटका रहा है, जिन्हें कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए योग्य मान रही है। वहीं दिलचस्प बात तो यह है कि शिक्षा विभाग ने 2013 में मांगी गई एक आरटीआई के जवाब में लिखा है कि जिस यूनिवर्सिटी को प्रदेश की कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, एमडीयू रोहतक, जीजेयू हिसार और एनडीआरआई करनाल मान्यता देते हैं, उन यूनिवर्सिटी की डिग्री सरकारी नौकरी में योग्य मानी जाएगी।
यह है मामला :
नवीन श्योकंद ने बताया कि पीजीटी शिक्षक भर्ती में आईएएसई सरदार शहर राजस्थान यूनिवर्सिटी के आवेदकों की ज्वाइनिंग शिक्षा विभाग ने रोकी हुई है। आरटीआई का जवाब अधिकारियों ने 40 दिन बाद भी नहीं दिया। उन्होंने बताया कि विजेंद्र कुमार को 11 अगस्त 2010 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से प्राप्त सूचना में बताया गया कि आईएएसई यूनिवर्सिटी के आवेदकों को केयू योग्य मानता है। वहीं 2013 में एडवोकेट एसके शर्मा ने सीसे सेकेंडरी शिक्षा विभाग के निदेशक से आरटीआई के तहत तीन सवालों की जानकारी मांगी थी। पहला सवाल पूछा था कि प्रदेश सरकार की नौकरियों में किन यूनिवर्सिटी की डिग्री को मान्यता दी जाती है। जवाब में निदेशक ने लिखा कि दो नवंबर 1999 को इस बारे में एक कमेटी गठित की गई थी। रिपोर्ट को कोर्ट ने मान्यता देते हुए फैसला दिया था कि केयू, एमडीयू रोहतक, जीजेयू हिसार और एनडीआरआई जिन यूनिवर्सिटी को योग्य मानती हैं वे दाखिले और भर्ती के लिए मान्य हैं। db
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