चंडीगढ़ : हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) ने वार्षिक निष्पादन मूल्यांकन रिपोर्ट (एपीएआर) के नए प्रारूप का सामूहिक बहिष्कार किया। शिक्षा विभाग द्वारा जारी इस एपीएआर प्रोफार्मा में कहीं भी लेक्चरर शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। दूसरी तरफ शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के विरोध को गलत ठहराते हुए इसके पक्ष में कई दलीलें दी हैं और उन्हें समझाने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं। 1हसला के राज्य प्रधान दयानंद दलाल के अनुसार शिक्षा विभाग ने हर पहलू पर प्राध्यापक वर्ग को हाशिए पर ला दिया है। एक तरफ तो प्राध्यापकों की मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा और दूसरी तरफ लेक्चरर पद नाम भी हटा दिया गया है। प्राध्यापकों के ग्रेड पे 5400 रुपये की मांग लंबे समय से अटकी हुई है। पदोन्नति के मामले में प्राध्यापकों के साथ अन्याय किया जा रहा है। चार वर्ष की सेवा काल का हैडमास्टर प्राचार्य के पद पर पदोन्नत हो चुका है जबकि 21 वर्ष की सेवाकाल का प्राध्यापक प्राचार्य के पद पर पदोन्नति से वंचित है।
दयानंद दलाल ने कहा कि जेबीटी अध्यापक तथा मास्टर को दो-दो पदोन्नति के अवसर दिए जा रहे हैं जबकि प्राध्यापकों को एक भी पदोन्नति नहीं दी जा रही है। प्रदेश में कॉलेज काडर के लिए योग्यता प्राप्त प्राध्यापकों को प्रदेश सरकार अनुचित तरीके से वंचित कर रही है। प्राध्यापकों को 11वीं व 12वीं कक्षा के साथ 9वीं व 10वीं कक्षा भी पढ़ाने को दी जा रही है। नव नियुक्त पीजीटी को छठी कक्षा तक पढ़ाने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
दूसरी तरफ शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुरीना राजन ने बताया कि प्रत्येक अध्यापक को ‘शिक्षक सेतू’ दिया गया है जो अध्यापकों को वार्षिक कार्य निष्पादन मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने में मार्ग दर्शन करेगा। शिक्षा महानिदेशक विवेक अत्रे ने उप-जिला शिक्षा अधिकारी उर्मिल बांगड के साथ राजकीय संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सेक्टर 12 ए पंचकूला का दौरा किया और अध्यापकों के साथ वार्षिक कार्य निष्पादन मूल्यांकन रिपोर्ट के नए प्रारूप पर चर्चा की। उनके अनुसार स्कूल शिक्षा निदेशालय ने मुख्यालय स्तर पर 11 तथा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों की नोडल टीम गठित की हैं जो इस मामले में बातचीत करेगी। dj
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.